गणेश मूर्तिया (सौजन्य-नवभारत/सोशल मीडिया)
Nagpur News: ज्ञान, बुद्धि और मंगल के प्रतीक भगवान गणेश केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में पूजे जाते हैं। इस बार का गणेशोत्सव भक्ति के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और वैश्विक संस्कृति के संगम का अनोखा संदेश लेकर आया है। नागपुर जिले के देवलापार स्थित गोविज्ञान अनुसंधान केंद्र द्वारा गाय के गोबर से निर्मित गणेश प्रतिमाओं को अमेरिका और कंबोडिया जैसे देशों तक पहुंचाया गया है।
गोविज्ञान अनुसंधान केंद्र के सचिव सनतकुमार गुप्ता ने बताया कि यहां निर्मित लगभग 60 गोमय गणेश प्रतिमाएं अमेरिका के कैरोलिना भेजी गईं जबकि 100 प्रतिमाएं कंबोडिया पहुंचीं। भारतीय संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा। यह गर्व का विषय है। ऐसा उन्होंने कहा। इस पहल से देवलापार क्षेत्र की लगभग 40 महिलाओं को रोजगार मिला।
केंद्र की ओर से उन्हें प्रतिमा निर्माण और प्राकृतिक रंगों के प्रयोग का विशेष प्रशिक्षण दिया गया था। बीते तीन महीनों में इन महिलाओं ने करीब 600 गणेश प्रतिमाएं बनाईं जिनकी दिल्ली, बेंगलुरु और महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों में भी बड़ी मांग रही।
गोमय गणेश प्रतिमाओं के माध्यम से श्रद्धा, विज्ञान और पर्यावरण का अद्भुत संगम साधा गया। भारतीय परंपरा के अनुसार गाय का गोबर पवित्र माना जाता है। इन प्रतिमाओं से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है, वास्तु शुद्धि होती है और स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है। इसी उद्देश्य से प्रतिमाओं के भीतर तुलसी के बीज डाले गए। विसर्जन के बाद यही बीज अंकुरित होकर घर के वातावरण को चैतन्य और पवित्र बनाएंगे।
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अमेरिका और कंबोडिया में स्थापित इन प्रतिमाओं को वहां की विश्व हिंदू परिषद ने आगे बढ़कर स्थापित कराया। सबसे खास बात यह रही कि समुद्री मार्ग से ले जाते समय प्रतिमाओं को किसी भी तरह की क्षति न पहुंचे, इसके लिए विशेष पैकेजिंग और प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया गया। इस कारण सभी प्रतिमाएं सुरक्षित पहुंचीं।
– सनतकुमार गुप्ता, सचिव, गोविज्ञान अनुसंधान केंद्र, देवलापार।