संकट में किसान (सौजन्य-IANS)
Nagpur News: सरकारी नियम ही अनेक बार ऐसे जटिल होते हैं जिससे उसका अर्थ ही नहीं रह जाता। अतिवृष्टि व बाढ़ से हुए फसलों के नुकसान के बाद राज्य सरकार ने आर्थिक मदद पैकेज की घोषणा की है। सरकार ने रबी की फसल लेने के लिए किसानों को 10,000 रुपये की मदद देने की बात कही है लेकिन कपास उत्पादक किसान रबी की फसल लेते ही नहीं। नागपुर जिले सहित संभाग में कपास उत्पादक किसान ही अधिक हैं। रबी फसल नहीं लेने के चलते वे इस 10,000 रुपये की मदद से वंचित रहने वाले हैं।
अकेले नागपुर जिले में सर्वाधिक रकबा कपास का ही है। जिले में 3 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में कपास की बुआई हुई है। उसके बाद सोयाबीन 70 हजार हेक्टेयर और तुअर की बुआई लगभग 50 हजार हेक्टेयर में की गई है। कपास की फसल फरवरी महीने के अंत तक या फिर मार्च तक निकलती है। उसके बाद कपास उत्पादक किसानों के लिए रबी की फसल लेना संभव ही नहीं है।
सरकार जो 10,000 रुपये देने वाली है वह रबी फसल के लिए खाद व बीज खरीदी के लिए है। ऐसे में कपास उत्पादक किसानों के साथ ऐसे असिंचित क्षेत्र के अन्य किसानों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। जिले के कपास उत्पादक किसानों में रोष देखा जा रहा है व मदद की मांग की जा रही है।
पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि खरीफ का नुकसान हुआ है। रबी फसल लेने के लिए किसानों को 10 हजार रुपये दिये जा रहे हैं। जो खेत रिक्त रखेंगे उन्हें मदद नहीं मिलेगी। असिंचित क्षेत्र के किसानों को भी कुछ प्रमाण में रबी की फसल लेनी चाहिए।
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पूर्व जिप उपाध्यक्ष कुंदा राऊत ने किसानों के लिए घोषित पैकेज को धूल झोंकने वाला और किसानों के साथ मजाक बताया। उन्होंने कहा कि कपास किसान रबी की फसल नहीं लेते। इसलिए उन्हें 10 हजार रुपयों का लाभ ही नहीं मिलेगा। सिंचित क्षेत्र के किसानों को असिंचित किसानों की तुलना में अधिक मदद है। उन्होंने कहा कि असिंचित किसानों को भी आगामी खरीफ सीजन के लिए आर्थिक मदद देने की जरूरत है।