सरकारी ज़मीन हड़पने की साजिश। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा करने के इरादे से कमलेश दिलीप चौधरी द्वारा बनाए गए फर्जी दस्तावेज़ों के मामले में गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है। आरोप है कि उन्होंने नागपुर शहर स्थित तेलंगखेड़ी गांव में करीब 43.87 लाख वर्गफुट भूमि हड़पने के लिए भूमि अभिलेख विभाग और सिटी सर्वे कार्यालय क्रमांक 3 से संबंधित फर्जी कागजात तैयार किए।
इस मामले में सदर पुलिस थाने में भारतीय न्याय संहिता (BNS) के अंतर्गत गंभीर धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई है। कार्रवाई सिटी सर्वे विभाग की शिकायत पर की गई, जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया कि कमलेश चौधरी ने एक आवेदन के साथ हस्तलिखित रजिस्ट्री की फर्जी प्रति संलग्न की थी और उसमें अपने पिता दिलीप दयाराम चौधरी को ज़मीन का पट्टेदार बताया था।
यह ज़मीन सिटी सर्वे नंबर 65, मौजा तेलंगखेड़ी में स्थित है, जिसका कुल क्षेत्रफल 40,77,39.1 वर्ग मीटर (लगभग 43.87 लाख वर्गफुट) है। यह भूमि महाराष्ट्र सरकार के कृषि विभाग की स्वामित्व वाली है और इसमें महाराष्ट्र पशुपालन और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय तथा आईसीएमआर/राष्ट्रीय वन स्वास्थ्य संस्थान के वैध अधिकार निबंधित हैं।
21 जनवरी 2025 को कमलेश चौधरी ने सिटी सर्वे कार्यालय में एक आवेदन प्रस्तुत किया था, जिसमें उनके पिता को भूमि का स्वामी दर्शाया गया था। जांच के दौरान यह प्रतिलिपि पूरी तरह फर्जी पाई गई और कार्यालय ने इसे तत्काल खारिज कर दिया।हालांकि उस समय एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी, लेकिन 29 मई 2025 को अन्याय निवारण मंच की अध्यक्ष ज्वाला जांबुवंतराव धोटे ने कमलेश चौधरी, उनकी मां मीना चौधरी और भाई मुकेश चौधरी के खिलाफ लिखित शिकायत सिटी सर्वे कार्यालय को दी।
इसके बाद 17 जून 2025 को सिटी सर्वे कार्यालय ने औपचारिक पुलिस शिकायत दर्ज कराई और 20 जून 2025 को सदर थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई।इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए पुर्व विधायक विकास ठाकरे ने पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले को एक ज्ञापन सौंपकर संबंधित अधिकारियों को तत्काल एफआईआर दर्ज करने के निर्देश देने की मांग की।
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इस नए मामले के साथ ही कमलेश चौधरी के खिलाफ अब कुल चार आपराधिक मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें से तीन फुटाला तालाब और उसके कैचमेंट क्षेत्र में अवैध निर्माण और अतिक्रमण से जुड़े हैं, जबकि यह चौथा मामला सरकारी दस्तावेजों की फर्जीवाड़ा से संबंधित है।
समाजसेविका ज्वाला जांबुवंतराव धोटे ने प्रेस को जारी बयान में कहा “कमलेश चौधरी केवल सरकारी ज़मीन हड़पने का प्रयास नहीं कर रहा, बल्कि फर्जी दस्तावेज बनाकर उन्हें महानगरपालिका, नगर विकास विभाग, नागपुर सिविल न्यायालय, जिला अदालत और उच्च न्यायालय में पेश करके पूरी सरकारी और न्यायिक व्यवस्था को गुमराह कर रहा है।”
उन्होंने माँग की कि “जब तक पूरी जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक कमलेश चौधरी को न्यायिक हिरासत में लिया जाए और उसके खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जाए।” सरकारी ज़मीन पर फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से कब्ज़ा करने की यह घटना सिर्फ एक भूमि घोटाले तक सीमित नहीं, बल्कि एक संगठित अपराध की ओर इशारा करती है। यदि समय रहते इस पर कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो इससे सरकारी व्यवस्था और न्यायिक संस्थानों की साख पर गंभीर प्रश्न खड़े हो सकते हैं।