छत्रपति चौक पर बसों का जमावड़ा। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: शहर के अमूमन हर इलाकों में निजी, एसटी और आपली बस चालकों ने अपने हिसाब से सुविधा के अनुसार बस स्टॉप बना लिए हैं। ज्यादातर बसें बिल्कुल चौराहों की टर्निंग पर रुकती हैं। इस वजह से दिनभर ट्रैफिक बाधित होता है। छत्रपति चौक पर हालात ज्यादा खराब हैं। यह चौराहा शहर के प्रमुख जंक्शन में से एक है। दिनभर यहां भारी संख्या में वाहनों की आवाजाही होती है।
इसके बावजूद चौराहे के नजदीक बस रोक दी जाती है। इन्हें न तो कोई रोकने वाला है और न ही कोई टोकने वाला। जाम में फंसे लोग हॉर्न बजाते रह जाते हैं लेकिन बस चालक और कंडक्टर के कान में जू तक नहीं रेंगती। असल में यह सब ट्रैफिक विभाग की अनदेखी का नतीजा है। निजी बस संचालकों पर लगाम कसने में ट्रैफिक विभाग पूरी तरह विफल दिखाई देता है। केवल निजी ही नहीं, सरकारी बसों के चालक भी नियमों को ताक पर रखकर जहां मन चाहे गाड़ी रोक देते हैं।
शहर में यातायात व्यवस्था को सुचारु रखने की जिम्मेदारी ट्रैफिक पुलिस और महानगर पालिका की है। दोनों विभाग मिलकर ही इंफ्रास्ट्रक्चर, रोड और वाहनों की आवाजाही की संख्या के हिसाब से बस स्टॉप की जगह निर्धारित करते हैं। छत्रपति चौक पर कभी भी बस स्टॉप नहीं था। केवल लैंडमार्क के लिए छत्रपति बस स्टैंड कहा जाता था।
असल में बस स्टॉप मेट्रो स्टेशन के आगे बना हुआ है लेकिन हैदराबाद और मुंबई जाने वाली सभी ट्रैवल्स कंपनियों के एजेंट कार्यालय छत्रपति चौक के बिल्कुल नजदीक बना दिए गए हैं। इस वजह से सभी कंपनियों की बसें चौक पर ही रुक जाती हैं। सवाल यह उठता है कि बस स्टॉप तय करने वाले ट्रैवल्स एजेंसी वाले कौन होते हैं। यह निर्णय मनपा और ट्रैफिक विभाग को मिलकर लेना चाहिए। यदि समस्या हो रही है तो इसका निराकरण करने की जिम्मेदारी प्रशासन की है।
महाराष्ट्र की अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें…
छत्रपति चौक से कोका कोला फैक्ट्री और कोका कोला फैक्ट्री से छत्रपति चौक के बीच मानो ट्रैफिक व्यवस्था लावारिस हो गई है। न तो पुलिस का भारी वाहनों पर कंट्रोल है और न ही ऑटो व ई-रिक्शा वाले पुलिस से डरते हैं। यही कारण है कि जिसका जहां और जब मन चाहे वाहन खड़ा कर देता है। चंद्रपुर, वर्धा, यवतमाल से आने वाली सभी बसें पहले लक्ष्मी नारायण सभागृह के समीप रुकती थीं। वहीं ऑटो और ई-रिक्शा वाले भी सवारियों के लिए खड़े रहते थे लेकिन बस और अन्य सवारी वाहन चालकों ने अपनी सुविधा के अनुसार वाहन रोकना शुरू कर दिया है। इस वजह से यातायात बाधित होता है।
चाहे बस चालक हों या ऑटोरिक्शा चालक, सभी के बीच सवारी लेने की रेस चलती है। एक बस के पीछे दूसरी और उसके पीछे तीसरी लग जाती है। ट्रैफिक पूरी तरह ठप हो जाता है। यहां चंद्रपुर, वनी, यवतमाल और वर्धा जाने वाली बसों के एजेंट के बीच दिनभर गहमा-गहमी होती है। सवारी लेने के लिए बस चालक एक-दूसरे को साइड नहीं देते। अन्य वाहन चालक हॉर्न बजाते रहते हैं लेकिन कोई टस से मस नहीं होता। यहां तक कि एम्बुलेंस और पुलिस के वाहन भी कतार में लगे रहते हैं। कई बार केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का काफिला भी यहां फंस चुका है। इसके बावजूद पुलिस का ध्यान न होना आश्चर्य की बात है।