नागपुर एम्स (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur AIIMS News: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में ओपीडी से लेकर आईपीडी तक में मरीजों की भीड़ दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। केवल विदर्भ ही नहीं बल्कि तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से मरीज आ रहे हैं। मरीजों के बढ़ते फ्लो का ही नतीजा है कि इमरजेंसी विभाग में अफरा-तफरी देखने को मिल रही है।
बेड की तुलना में दोगुना मरीज होने से उपचार व्यवस्था पर भी बोझ बढ़ रहा है। कई बार स्थिति यह हो जाती है कि सप्ताह भर तक मरीज स्ट्रेचर पर ही पड़े रहते हैं। एम्स में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है लेकिन बेड की संख्या सीमित है। कोई भी गंभीर आने पर उसे सबसे पहले इमरजेंसी में भर्ती किया जाता है। इमरजेंसी में 56 बेड हैं। वहीं 20 बेड का आईसीयू भी बनाया गया है। 24 घंटे में करीब 120 मरीज भर्ती रहते हैं।
यानी बेड की तुलना में दोगुना मरीज रहते हैं। मरीज को अस्पताल में लाने के बाद सबसे पहले परिजनों को स्ट्रेचर की खोज में निकलना पड़ता है। कई बार स्ट्रेचर भी आसानी से नहीं मिलते। इसकी मुख्य वजह यह है कि करीब आधे मरीजों को बेड के अभाव में स्ट्रेचर पर ही रखकर इलाज करना पड़ता है। इतना ही नहीं, कुछ मरीज तो ट्राइसिकल पर ही पड़े रहते हैं।
बेड की कमी के चलते स्ट्रेचर पर मरीजों को सप्ताह भर तक रखा जाता है। कई मरीज स्ट्रेचर पर ही ठीक हो जाते हैं जबकि कुछ स्ट्रेचर पर ही दम तोड़ देते हैं। बताया जाता है कि इमरजेंसी वार्ड में हर दिन करीब 100 नये मरीज आ रहे हैं। दोगुनी क्षमता भी भर जाती है तो मरीजों को लौटाने की भी नौबत आती है।
पहले विदर्भ और मध्य प्रदेश के मरीज अधिक आ रहे थे लेकिन वर्तमान में हैदराबाद तक के मरीज आ रहे हैं। वहीं महाराष्ट्र में नांदेड तक के मरीजों को एम्स में रेफर किया जा रहा है। बेड मिलने के लिए मरीजों को प्रतीक्षा करनी पड़ती है। इस वजह से कई बार डॉक्टरों के साथ ही बहस जैसी स्थिति भी बन जाती है।
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मरीजों के परिजनों का कहना है कि अब जब मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है तो फिर इमरजेंसी में बेड भी बढ़ाये जाने चाहिए ताकि सभी गंभीर मरीजों को भर्ती होकर उपचार का लाभ मिल सके लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस वजह से समस्या गंभीर होती जा रही है। सबसे अधिक दिक्कतें परिजनों को हो रही हैं। उन्हें रात में मरीज के पास ही ठहरना होता है। असुविधा के बीच मरीजों की देखरेख भारी पड़ रही है।