महायुति (सौजन्य-एएनआई)
नागपुर: केंद्र ने जाति जनगणना को ऐतिहासिक फैसला ले लिया है। जाति जनगणना से प्रत्येक जाति की जनसंख्या सामने आ जाएगी। इसी तरह, यह भी कहा जा रहा है कि इससे लंबित ओबीसी आरक्षण मुद्दे को भी सुलझाने में मदद मिलेगी। इससे विलंबित स्थानीय निकाय चुनावों का मार्ग भी प्रशस्त होगा। जाति आधारित जनगणना की मांग कई वर्षों से चल रही है। शुरुआत में भाजपा समेत सभी दलों ने इसका समर्थन किया लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार ने इसे खारिज कर दिया।
तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार द्वारा एक सामाजिक, आर्थिक और जातिगत सर्वेक्षण कराया गया था। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट भी प्रकाशित नहीं हुई है। इससे केंद्र सरकार की काफी आलोचना हुई। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने यह मांग जोरदार ढंग से उठाई। ओबीसी संगठनों ने भी इसके लिए विरोध प्रदर्शन किया। अब सरकार ने जातिवार जनगणना कराने का निर्णय लिया है। चर्चा है कि जनगणना के साथ-साथ जातिवार जनगणना भी कराई जाएगी। आरक्षण अटका हुआ है क्योंकि ओबीसी की कोई सटीक संख्या नहीं है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और उससे भी कुछ मुद्दे मांगे गए हैं। कहा जा रहा है कि इस सर्वे से ओबीसी की सही जनसंख्या का पता चल सकेगा और आरक्षण का मुद्दा भी सुलझ जाएगा।
जनगणना 2021 की शुरुआत में शुरू होने की उम्मीद थी लेकिन इस दौरान कोरोना फैल रहा था। संक्रामक रोग होने के कारण सरकार द्वारा कई प्रतिबंध लगाए गए थे। इसलिए जनगणना नहीं कराई गई। सरकार ने अगले वर्ष जनगणना कराने से भी परहेज किया। अब केंद्र सरकार ने जातिवार जनगणना कराने का फैसला किया है। यह कार्य लगभग पांच वर्ष बाद किया जाएगा।
ओबीसी आरक्षण के कारण मनपा और जिला परिषद चुनाव में देरी हुई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव दिवाली या जनवरी में होंगे, लेकिन अब केंद्र सरकार ने जातिवार जनगणना कराने का फैसला किया है। जनगणना के आंकड़े अप्रैल 2026 में जारी किये जायेंगे। इसलिए वार्ड संरचना और आरक्षण उसके बाद तय किया जाएगा। ऐसे में संभावना है कि ये चुनाव भी विलंबित होंगे।
जनगणना 2011 में हुई थी। इसे अब 15 वर्ष का समय बीत गया है। इस अवधि के दौरान जनसंख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। लोकसभा और विधानसभा की सीटें जनसंख्या के आधार पर निर्धारित होती हैं। इसलिए, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि लोकसभा और विधानसभा के साथ-साथ स्थानीय निकायों में सीटों की संख्या में भी वृद्धि होगी। यदि स्थान बढ़ाया जाए तो इससे कई लोगों को सदन में बैठने का सपना पूरा करने में मदद मिलेगी।
जनगणना का काम दिसंबर और जनवरी में शुरू होने के संकेत सत्रों से प्राप्त हुए हैं। जनगणना का काम लगभग दो से ढाई महीने तक चलेगा। बताया जा रहा है कि इस वर्ष टैब के माध्यम से ऑनलाइन कार्य किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि जनगणना के आंकड़े अगले वर्ष 1 अप्रैल को जारी किये जायेंगे।
बता दें कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा हो रही है। मराठा समुदाय की जनसंख्या के बारे में भी विभिन्न आंकड़े दिए गए हैं। जाति जनगणना से मराठा समुदाय की सही संख्या भी सामने आएगी।
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अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा धनराशि उपलब्ध कराई जाती है। यह निधि उनकी जनसंख्या के आधार पर उपलब्ध कराने का प्रावधान है। दावा किया जाता है कि इन दोनों वर्गों की जनसंख्या में वृद्धि हुई है। जनसंख्या में वास्तविक वृद्धि इस जनगणना के बाद ही पता चलेगी। सरकार धन उपलब्ध कराने में मदद करेगी। इसी प्रकार राज्य में ओबीसी वर्ग के लिए महाज्योति योजना बनाई गई है। कहा जा रहा है कि राज्य सरकार इस वर्ग के लिए धनराशि उपलब्ध कराने में मदद करेगी।