महादेवी हथिनी और विदर्भ के टाइगर (AI Generated Photo)
Nagpur News: कोल्हापुर के नंदिनी मठ की महादेवी हथिनी को वापस लाने के लिए लोगों ने आंदोलन का रुख अपना लिया है। इसके लिए जियो का बहिष्कार भी किया जा रहा है। वनतारा में इलाज के लिए हथिनी को भेजा गया था जिसे अब वापस मांगा जा रहा है। मजेदार बात यह कि इलाज के नाम पर नागपुर से 19 टाइगर वनतारा भेजे गये लेकिन इसकी भनक काफी कम लोगों को लगी। अब सवाल यह उठता है कि रेस्क्यू सेंटर में ठीक होने के बाद इनकी वापसी के लिए कोई मांग करेगा।
बात जब अंबानी परिवार की आती है तो हर कुछ बड़ा ही होता है। वन्य जीवों के संरक्षण एवं संवर्धन के क्षेत्र में ही अंबानी पुत्र अनंत ने एक बड़ा कदम उठाया है। विश्व भर के दुर्लभ प्राणियों को यहां पर इलाज के लिए लाया गया है। अब यह बात सामने आ रही है कि वनतारा के लिए केंद्र सरकार की पहल पर19 टाइगर भेजे गए हैं। किसी भी जू या वन जीव संरक्षण में इससे पहले इतने बड़े पैमाने पर टाइगरों को नहीं भेजा गया।
वनतारा में विदर्भ के 19 टाइगर्स की दहाड़ सुनाई पड़ रही है। विदर्भ भर में घायल होने वाले टाइगरों को गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर में इलाज के लिए लाया जाता है। कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि टाइगरों को रखने के लिए जगह कम पड़ जाती है। ऐसी स्थिति में देश भर के जू संचालक केंद्र सरकार के जरिए जानवरों की अदला- बदली करने का निर्णय लेते हैं। केंद्रीय मंजूरी मिलने के बाद जानवरों की अदला-बदली आम बात होती है।
गोरेवाड़ा में भी यही नीति अपनाई जाती है लेकिन वनतारा में 19 टाइगरों भेजने के दौरान अदला-बदली नीति नहीं अपनाई गई। इतना ही नहीं, जीव संरक्षण कानून के तहत इतने बड़े निर्णय को मंजूरी दे दी गई। हर कुछ मंजूरियों के बाद हुआ है। बावजूद इसके वन्यजीव प्राणी के जानकार बताते हैं कि ऐसा होना केवल ‘अंबानी’ प्रभाव को ही दिखाता है।
वन्यजीव प्राणी के जानकारों का कहना है कि जब भी टाइगरों की मांग होती है तो 2-4 टाइगर बहुत हो जाते हैं क्योंकि टाइगर को पालना भी आसान नहीं होता है। एक टाइगर को खिलाने का खर्च काफी अधिक आता है। महीने में एक टाइगर पर 1 लाख रुपये खर्च किया जाता है। आम जू वालों के वश में यह नहीं होता। इसलिए कभी भी 4 टाइगरों के ऊपर टाइगरों को नहीं भेजा गया।
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विदर्भ टाइगर प्रेमियों का कहना है कि यह सही है कि कई बार रेस्क्यू सेंटर में टाइगरों की संख्या अत्यधिक हो जाती है। इन्हें रखना बड़ी चुनौती है। देश के कई जू वाले भी कतार में खड़े हैं जिन्हें टाइगर चाहिए। उन्हें टाइगर उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं जबकि वनतारा के लिए 2023 के आखिरी में 4 और 2024 में एक साथ 15 टाइगरों को भेज दिया गया। 15 टाइगर एक ही स्थान पर भेजना ‘वनतारा’ की ताकत को बयां करता है।
जानकारों की मानें तो टाइगर भेजने के बाद कुछ अधिकारियों को वनतारा भेजा गया था ताकि टाइगरों की स्थिति का जायजा लिया जा सके। अधिकारियों ने पाया कि सभी टाइगर बेहतर माहौल में हैं और उनका उपचार भी बेहतर तरीके से हो रहा है।