रवींद्र काटोलकर (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur Education Scam: नागपुर में बोगस शालार्थ आईडी घोटाले में पकड़े गए शिक्षाधिकारी रवींद्र काटोलकर ने केवल नागपुर ही नहीं अन्य जिलों में भी अपना जाल फैला रखा था। जांच के दौरान यह जानकारी सामने आई है। काटोलकर ने भंडारा में पदस्थापना के दौरान भी फर्जी शालार्थ आईडी प्रस्तावों को मंजूरी दी थी।
इसकी जानकारी सामने आते ही विशेष जांच दल (एसआईटी) ने इस दिशा में भी जांच शुरू कर दी है। एसआईटी ने मंगलवार को वर्धा से काटोलकर को गिरफ्तार किया था। अदालत ने उन्हें 25 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। इसके बाद बुधवार दोपहर एसआईटी ने काटोलकर को साथ लेकर सीताबर्डी स्थित प्राथमिक वेतन अधीक्षक कार्यालय पर छापा मारा।
टीम ने करीब 3 घंटे तक कार्यालय की गहन तलाशी ली और मामले से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेजों के साथ-साथ कम्प्यूटरों में मौजूद डेटा भी जब्त किया। बुधवार को पूरे दिन काटोलकर से पूछताछ की गई। जांच के दौरान उन्होंने यह स्वीकार किया कि भंडारा में कार्यरत रहते हुए भी उन्होंने फर्जी प्रस्तावों को मंजूरी दी थी। इसके चलते एसआईटी की टीम आगे की जांच के लिए जल्द ही भंडारा जाने वाली है।
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जानकारी के अनुसार जिला परिषद में माध्यमिक शिक्षा अधिकारी के पद पर रहते हुए काटोलकर ने दिसंबर 2021 से मार्च 2022 के बीच 39 फर्जी शालार्थ आईडी प्रस्तावों को मंजूरी दी थी। इस घोटाले के जरिए शासन को करीब 12 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया गया। काटोलकर की पुलिस हिरासत गुरुवार को समाप्त हो रही है। उन्हें अदालत में पेश कर एसआईटी द्वारा कस्टडी बढ़ाने की मांग की जाएगी।