पब (सौजन्य-सोशल मीडिया, कंसेप्ट फोटो)
Nagpur News: मंजूरी और लाइसेंस लिए बिना, नियमों का घोर उल्लंघन करने वाले पब, लाउंज और हुक्का पार्लर की म्यूजिक-थिरकन से न केवल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उनके क्षेत्र में रहने वाले आम नागरिक प्रभावित हो रहे हैं बल्कि पूर्व राज्यपाल तक इससे प्रभावित हैं। पूर्व सांसद ने भी गुहार लगाई थी लेकिन पुलिस प्रशासन कुछ कर पाने में असमर्थ साबित हुआ।
नतीजा संपूर्ण धरमपेठ, धरमपेठ एक्सटेंशन, शंकरनगर, शिवाजीनगर, हिलटाप, खरे टाउन, चिल्ड्रंस पार्क जैसे इलाके इसकी चपेट में आते चले गए। वर्षों से इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग पूरी तरह से हलाकान हो चुके हैं। महिलाओं और बच्चों का सुबह-शाम निकलना मुश्किल हो गया है। रात में वॉक तक नहीं कर सकते। परिवार के साथ बाहर नहीं निकल सकते।
नागरिकों का कहना है कि जब राज्यसभा सांसद और विधायक की बात भी अनदेखी कर दी जा रही है तो भला उनकी कौन सुनेगा। वे अपनी मजबूरी बयां करते हुए कहते हैं कि पुलिस को एक बार नहीं, दर्जनों बार बताया गया है। उसके बाद मर्डर तक हो चुका है। आये दिन खतरा मंडराते रहता है।
धरमपेठ स्थित पूर्व राज्यपाल का बंगला सबसे सुरक्षित क्षेत्र में से एक माना जाता था। मुख्य मार्ग पर होने के बाद भी शांति बनी रहती थी लेकिन पिछले कुछ समय में यह मार्ग 24 घंटे का ‘म्यूजिक सेंटर’ बन गया है। धुआं उड़ाने, अश्लील हरकत करने का केंद्र बिंदु के रूप में उभरता जा रहा है। आवास के ईद-गिर्द हालत बिगड़ती ही जा रही है। यह भी प्रशासनिक अधिकारियों को दिखाई नहीं दे रहा है।
संभ्रांत परिवारों के लोगों का सीधा आरोप है कि राजस्व के नाम पर अधिकारी धूम मचा रहे हैं। नियम का पालन हो रहा है, शहर का वातावरण खराब हो रहा है इसकी तक परवाह नहीं है। अधिकारियों का पूरा ध्यान अब ‘पैसे’ पर लग गया है। इसके लिए वे आंख में पट्टी भी बांधने को तैयार हो गए हैं। स्थिति खराब होने का सबसे बड़ा कारण यही हो गया है।
दंड लगाना, नोटिस जारी करना, चालान बनाना यह दिखावे का दूसरा ‘स्वरूप’ बन गया है। इससे अधिकारी भी यह दिखा देते हैं कि विभाग ने कार्रवाई की है लेकिन वास्तव में इन पर कोई ‘एक्शन’ लिया ही नहीं जाता है। नोटिस लेने और दंड देने के बाद ये और भी ‘बिंदास’ हो जाते हैं, मानो सरकार को ‘घूस’ दे चुके हों।
पुलिस और प्रशासन का अधिकांश पब, लाउंज और हुक्का पार्लर के मालिकों के साथ किसी बड़े व्यक्ति की पार्टनरशिप है। यही पार्टनरशिप ‘प्रशासन’ पर दबाव का मुख्य कारण बन चुकी है। उनके हाथ-पांव बंध गए हैं और यह सिटी के लिए सबसे बड़ा खतरा बनता जा रहा है। ये प्रभावशाली लोग नेता, उद्यमी, बिल्डर और कारोबारी तक हैं।
नेताओं की हिस्सेदारी कई पब, लाउंज में होने की स्पष्ट जानकारी है। पुलिस कार्रवाई करने पहुंचती है, उससे पहले ‘फोन’ आ जाता है। इससे प्रशासन के हाथ-पांव बंध गए हैं और शहर में गंदगी दिनों दिन फैलती जा रही है।
ऐसे लोग पॉश बिल्डिंग, पॉश एरिया का चयन करते हैं, ताकि पॉश एरिया में सब कुछ शांति से चलता रहे। पॉश एरिया में रहने वाले लोग ‘आवाज बुलंद’ करने में पीछे रह जाते हैं। अब जब स्थिति ‘बिगड़’ चुकी है, लोग खुलकर इसका विरोध करने लगे हैं। सिटी का पॉश एरिया आज 24 घंटे ‘संकट’ का पर्याय बन चुका है। पुलिस गश्त की कमी, पुलिस की सख्ती की कमी एवं अन्य विभागों की उदासीनता इसे और बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त है।
सही कहा जाए तो सिटी में पुलिस का डर पूरी तरह से खत्म हो गया है जिसे जो मन कर रहा है वह वही कर रहा है। कानून को अपने हाथों में ले रहा है। बड़े पैमाने पर खिलवाड़ किया जा रहा है। बावजूद इसके कोई कुछ नहीं कर पा रहा है। जिस प्रकार से रोज-रोज एक नया पब, हुक्का पार्लर और लाउंज आवासीय क्षेत्रों में खुल रहा है उससे पारिवारिक परिस्थिति बिगड़ रही है। पुलिस और मनपा के आला अधिकारियों से बात की गई।
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वे कार्रवाई करते हैं और फिर स्थिति वैसी की वैसी हो जाती है। लॉ एंड ऑर्डर, ट्रैफिक की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा रही है। जिसे जहां मन करता है दुकान लगा देता है। रात-रातभर ये दुकान चलाते हैं। इससे असामाजिक तत्वों को पनाह मिलती है और वहां पर जमावड़ा लगने लगता है। मर्डर हो रहा है। इन सब स्थिति को देखकर लगता है कि शहर में कानून का डर लोगों में खत्म हो गया है। सिचुएशन अलार्मिंग स्थिति तक पहुंच चुकी है। बहुत ही ठोस पहल कर लोगों में कानून का ‘डर’ पुन: बहाल करने का प्रयास होना ही चाहिए।