
किसान आंदोलन (सौजन्य-IANS)
 
    
 
    
Bacchu Kadu Withdraws Protest: वर्धा रोड पर पूर्व विधायक ओमप्रकाश उर्फ बच्चू कड़ू के नेतृत्व में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण उत्पन्न गंभीर यातायात अवरोध पर हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए तत्काल हस्तक्षेप किया। न्या. रजनीश व्यास ने प्रदर्शनकारियों को तुरंत सड़क खाली करने का निर्देश दिया था; साथ ही पुलिस को शाम 6 बजे तक राजमार्ग को सामान्य स्थिति में लाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का आदेश देते हुए अनुपालन रिपोर्ट गुरुवार को प्रेषित करने को कहा था।
आदेश के अनुसार पुलिस आयुक्त ने अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत की, साथ ही प्रतिवादी पक्ष के रूप में बच्चू कड़ू की पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि आगामी रेल रोको आंदोलन को रद्द करने का निर्णय लेने की घोषणा की गई है। हाई कोर्ट ने बच्चू कड़ू द्वारा आंदोलन रद्द करने के फैसले को कोर्ट में वचनबद्धता (अंडरटेकिंग) के रूप में स्वीकार किया। कोर्ट ने इस कदम को बच्चू कड़ू की ओर से एक अच्छा संकेत बताया जो एक मिसाल कायम करेगा।
सुनवाई के दौरान पुलिस आयुक्त रवींदर सिंगल द्वारा दायर एक हलफनामे को रिकॉर्ड पर लिया गया। इस हलफनामे के अनुसार नेशनल हाईवे नंबर 44 और अन्य अवरुद्ध सड़कों पर सामान्य यातायात शांतिपूर्ण ढंग से बहाल हो चुका था।
हालांकि पुलिस आयुक्त ने हलफनामे में उल्लेख किया था कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में व्यापक रूप से प्रसारित रिपोर्टों के अनुसार बच्चू कड़ू ने संबंधित अधिकारियों के साथ नियोजित वार्ता विफल होने की स्थिति में ‘रेल रोको’ का आह्वान किया है। पुलिस ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि बच्चू कड़ू को इससे रोका जाए क्योंकि यह गंभीर कानून और व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न कर सकता है।
यह भी पढ़ें – नागपुर में थमा किसान आंदोलन, ट्रैफिक खुला, शहर ने ली राहत की सांस, रात भर बारिश में भीगे किसान
हाई कोर्ट ने नागरिकों की सुरक्षा और अधिकारों के प्रति चिंता व्यक्त की। संभावित आशंका थी कि रेल यातायात की स्वतंत्र आवाजाही भी प्रभावित होगी। इसी के मद्देनजर कोर्ट ने रेल मंत्रालय, मध्य रेलवे, नागपुर के मंडल रेल प्रबंधक, आरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों (मुंबई, नागपुर और भुसावल से) और सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) अजनी के पुलिस अधीक्षक सहित संबंधित रेल विभागों को भी मामले में प्रतिवादी के रूप में शामिल किया।
हाई कोर्ट ने सभी प्रतिवादी अधिकारियों, पुलिस विभाग, रेल विभाग और स्थानीय प्रशासन को एक टीम के रूप में कार्य करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए पहले से ही उचित कदम उठाने होंगे कि सड़क परिवहन या रेल यातायात में कोई गड़बड़ी न हो और नागरिकों को असुविधा न हो।






