ऑटोमोबाइल सेक्टर (सौजन्य-सोशल मीडिया, कंसेप्ट फोटो)
Nagpur News: जीएसटी काउंसिल ने छोटी कारों और 350 सीसी तक की मोटरसाइकिलों पर जीएसटी की दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दी। नई दरें नवरात्रि के पहले दिन यानी 22 सितंबर से लागू होने की जैसे ही लोगों को जानकारी मिली, वाहनों की बुकिंग करने वालों की भीड़ सिटी के हर एक शोरूम में बढ़ गई।
हर बार के मुकाबले इस दशहरा में वाहनों की अच्छी सेल रहने की उम्मीद वाहन डीलर्स द्वारा जताई गई है। छोटी कारों की कीमतें जहां 35 से 40 हजार तक घट सकती हैं वहीं 350 सीसी वाली नार्मल से सुपर प्रीमियम बाइक में 7,000 से 30,000 रुपये की बचत हो सकती है।
विदर्भ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनुज पांडे के अनुसार सरकार ने वाहन लेने का सपना देखने वालों का उत्साह दोगुना तो कर दिया है लेकिन कर कटौती का यह निर्णय 22 सितंबर की अपेक्षा पहले ही लागू किया जाना चाहिए था। वैसे अभी दशहरा पर वाहन ले जाने वालों की बुकिंग शुरू हो गई है। जिले में त्योहार पर करीब 3,000 चारपहिया वाहन उठने की उम्मीद है। जिले में ऑटोमोबाइल सेक्टर को देखें तो लगभग 700 से 800 करोड़ का बिजनेस हो सकता है।
वाडा के उपाध्यक्ष अचल गांधी के अनुसार जिले में 350 सीसी सेगमेंट से नीचे वाली गाड़ियों की 98 प्रश सेल होती है। इसमें जीएसटी से राहत मिलने के चलते लोगों में वाहन खरीदी का अलग ही उत्साह नजर आ रहा है। बुकिंग के लिए शोरूम में लोग पहुंच रहे हैं लेकिन अभी कुछ ऐसे भी हैं जो 22 सितंबर का इंतजार कर रहे हैं कि उस समय वाहनों की कीमत कितनी कम होगी।
यदि लोग इतना इंतजार करने की बजाय आज वाहन बुक कराते हैं तो उन्हें उनके हिसाब से मॉडल, कलर और च्वाइस मिल जाएगी क्योंकि अभी जैसी बुकिंग बढ़ रही है तो उससे उन्हें कहीं लंबी वेटिंग न करनी पड़ जाए। हम लोगों ने पहले जिले में 15,000 दुपहिया बिकने की अपेक्षा की थी लेकिन अब जीएसटी की सौगात मिलने से कम से कम 19,000 दुपहिया की सेल रहने की उम्मीद है।
जीएसटी के अलावा त्योहार पर कंपनियों की ओर से आकर्षक ऑफर्स की सौगात भी लोगों को मिल सकती है। इसमें एक्सचेंज ऑफर, आकर्षक फाइनेंस स्कीम्स के साथ कैश बैक, ईएमआई में छूट जैसे ऑफर्स रह सकते हैं। वहीं त्योहार को लेकर अभी से ग्राहकों की सुविधा के लिए शोरूम में विशेष तैयारियां भी की जा रही हैं।
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डीलर्स के अनुसार नये जीएसटी स्लैब ने पैसेंजर व्हीकल डीलरशिप्स को बड़ा झटका भी दिया है। वजह है 22 सितंबर से कम्पेंसेशन सेस का खत्म होना जिसकी वजह से पुराने टैक्स रेट पर खरीदा गया स्टाक अब डीलरों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि सेस की रकम वापस पाने या रिफंड करने की कोई साफ व्यवस्था नहीं है।
22 तक का ट्रांजिशन पीरियड बेहद अहम है। कम्पेंसेशन सेस खत्म होने से डीलरों के पास जो पुराना महंगे टैक्स वाला स्टाक है उसकी वजह से वर्किंग कैपिटल पर बड़ा दबाव आ जाएगा। अगर रिफंड या ट्रांजिशन के लिए कोई नियम बनाए जाते तो अचानक इतनी परेशानी नहीं होती।