कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
नागपुर: वैसे तो नागपुर में बांग्लादेशियों की संख्या कम नहीं है। यदि पुलिस के गोपनीय रिकॉर्ड की मानें तो कम से कम 200 बांग्लादेशी शहर में वैध दस्तावेज बनाकर रह रहे हैं। जांच एजेंसियां उनके दस्तावेजों की छानबीन में जुटी हैं। इस बीच आतंकी विरोधी दस्ता (एटीएस) और यशोधरानगर पुलिस ने मिलकर मंगलवार की रात एक कार्रवाई को अंजाम दिया।
नागपुर के यशोधरानगर में पुलिस ने 2 बांग्लादेशी भाइयों को गिरफ्तार किया गया। उनके पास नागपुर के रहवासी होने के दस्तावेजों के साथ बांग्लादेशी नागरिक होने के भी दस्तावेज मिले। भारत में बनाया गया उनका पासपोर्ट अब रद्द करके उन्हें वापस बांग्लादेश भेजा जाएगा।
नागपुर एटीएस को जानकारी मिली थी कि इंदिरानगर के टीपू सुल्तान चौक के समीप रहने वाले अब्दुल सलीम अब्दुल हमीद खान (30) और उसका भाई अब्दुल रफीक अब्दुल हमीद खान (33) बांग्लादेशी नागरिक हैं। दोनों यहां व्यवसाय करते हैं और 3-4 वर्ष यहां कमाने के बाद बांग्लादेश चले जाते हैं। नवंबर महीने में दोनों बांग्लादेश गए थे। तब से एटीएस उनकी गतिविधियों पर निगरानी कर रही थी।
मंगलवार की रात एटीएस ने इसकी जानकारी यशोधरानगर पुलिस को दी। दोनों के घर पर दबिश देकर पूछताछ की गई। सलीम और रफीक ने बताया कि दोनों भारतीय नागरिक हैं। उनका जन्म भी नागपुर में हुआ है और बचपन से ही नागपुर में रहते हैं।
दोनों ने आधार कार्ड, पैन कार्ड, जन्म प्रमाणपत्र और टीसी सहित पासपोर्ट भी पुलिस को दिखाया लेकिन दोनों के बांग्लादेशी होने की पुख्ता जानकारी एटीएस के पास थी। इसीलिए पासपोर्ट नियम और विदेशी नागरिक अधिनियम सहित विविध धाराओं के तहत मामला दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।
एटीएस ने वर्ष 2010 में शहर में रह रहे बांग्लादेशियों के खिलाफ बड़ी जांच मुहिम चलाई थी। एटीएस ने शहर भर से 28 बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया था। सलीम के माता-पिता बांग्लादेश भाग चुके थे लेकिन वह एटीएस के हाथ लग गया था लेकिन उस समय एटीएस के पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं था जिससे यह सिद्ध हो पाए कि वह बांग्लादेशी नागरिक है क्योंकि सलीम के पास मिले सभी दस्तावेजों से उसके नागपुर का रहवासी होने का पता चलता था।
3 महीने बाद सलीम छूट गया था। तब से वह नागपुर में रहकर व्यवसाय कर रहा था और बीच-बीच में कुछ वर्षों के लिए बांग्लादेश जाता-आता था। नवंबर महीने में भी सलीम और रफीक बांग्लादेश गए थे। एटीएस ने बांग्लादेश में अपने गोपनीय सूत्रों को सक्रिय किया। उन दोनों की जानकारी मांगी गई।
सलीम और रफीक के बांग्लादेशी नागरिक होने के दस्तावेज एटीएस को मिल गए। इसके बाद से उन पर निगरानी की जा रही थी और मंगलवार रात को पकड़ा गया। दोनों के बांग्लादेशी होने के वैध दस्तावेज हाथ लगने से अब सलीम और उसके भाई पर नकेल कसी जा सकती है।
यदि कोई बांग्लादेशी नागरिक वैध दस्तावेजों के साथ भारत में आकर बसता है और इस दौरान उन्हें संतान की प्राप्ति होती है तो ऐसे में माता-पिता तो बांग्लादेशी ही रहेंगे लेकिन उनके बच्चे को भारतीय नागरिकता मिल सकती है लेकिन सलीम और रफीक के माता-पिता अवैध तरीके से सीमा पार करके नागपुर आए थे। भले ही सलीम और रफीक का जन्म नागपुर में हुआ हो लेकिन उन्हें भारतीय नागरिकता नहीं मिल सकती।
शहर में और भी बांग्लादेशी नागरिक फर्जी तरीके से रह रहे हैं लेकिन पुख्ता जानकारी हाथ नहीं होने के कारण उन पर कार्रवाई नहीं हो रही। फिलहाल एटीएस शहर के अलग-अलग इलाकों में निगरानी कर रही है। ज्ञात हो कि सितंबर 2023 में भी सिटी पुलिस ने एटीएस की मदद से 2 बौद्ध भिक्षुओं को गिरफ्तार किया था। दोनों अवैध तरीके से सीमा पार करके भारत में आए थे।
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नागपुर के पीली नदी परिसर में बौद्ध विहार में धर्मगुरु बनकर रह रहे थे। प्रकरण की जांच में पता चला था कि इस तरह से 22 बांग्लादेशी नागपुर आए थे। भोपाल के विभागीय पासपोर्ट अधिकारी की मदद से फर्जी दस्तावेजों के जरिए उनके पासपोर्ट बनाए गए थे।