निति आयोग के साथ एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस
मुंबई. मुंबई एमएमआर क्षेत्र (मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन) को वैश्विक वित्तीय केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए नीति आयोग ने एक मास्टर प्लान बनाया है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में मुंबई महानगरीय क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास क्षमता होने का विश्वास व्यक्त करते हुए दावा किया है कि इस क्षेत्र तेज आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे में 50 बिलियन अमरीकी डालर के पूंजीगत निवेश की जरूरत है। इससे यह शहर शान से रहने लायक बन जाएगा।
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मुंबई को वैश्विक शहर बनाने के लिए केंद्र सरकार के अंतर्गत आनेवाले पोर्ट ट्रस्ट की 253 हेक्टेयर भूमि का विकास करना होगा। इसी तरह केंद्र सरकार के मातहत आनेवाली भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (एएआई), रक्षा विभाग एवं रेलवे की जमीन पर बसे झोपड़ों का पुनर्वास भी करना होगा। जैसे कि लंदन और शंघाई जैसे वैश्विक केंद्रों ने अपने कम उपयोगवाले शहरी बंदरगाहों का पुनर्विकास किया। मुंबई पोर्ट ट्रस्ट के मातहत आनेवाली 253 हेक्टेयर भूमि से मुंबई और मुख्य शहर को पुनर्जीवित कर सकते हैं। उच्च-स्तरीय सेवाओं, आवास, हरित स्थानों, क्रूज पर्यटन और उच्च-स्तरीय मनोरंजन के लिए इनका इस्तेमाल कर सकते हैं।
नीति आयोग ने कहा कि 50 अरब डॉलर से अधिक के चल रहे बुनियादी ढांचे के निवेश के कारण एमएमआर सकारात्मक विकास पथ पर है, जिसमें 337 किलोमीटर मेट्रो रेल, वाढवण बंदरगाह, नई मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, अलीबाग-विरार मल्टीमॉडल कॉरिडोर, वर्सोवा विरार सी लिंक, मुंबई-अहमदाबाद को जोड़ने वाली हाई-स्पीड रेल जैसी इंफ्रा प्रोजेक्ट इसकी वजह हैं। भारत सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप, मुंबई महानगर क्षेत्र के आर्थिक मास्टर प्लान को 30 महत्वपूर्ण परियोजनाओं में बदल दिया गया है, जो अगले पांच से छह वर्षों में पूरा हो जाएगा। इसके साथ ही महाराष्ट्र का लक्ष्य इस अवधि के दौरान निजी क्षेत्र से 125-135 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश आकर्षित करना है। इससे इस क्षेत्र के विकास को और बढ़ावा मिलेगा।
2030 और 2047 के लिए एमएमआर क्षेत्र के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों पर प्रकाश डालनेवाली आयोग की रिपोर्ट में 2030 तक एमएमआर की जीडीपी को 140 अरब डॉलर (12 लाख करोड़ रुपए) से बढ़ाकर 300 अरब डॉलर (26 लाख करोड़) और 2047 तक 1.5 ट्रिलियन डॉलर करने का लक्ष्य है। 2030 तक 25-28 लाख नई नौकरियां पैदा करना और प्रति व्यक्ति आय 5,248 डॉलर से बढ़ाकर 10,000-12,000 डॉलर और 2047 तक 38,000 डॉलर करने का लक्ष्य है।
इसमें वित्तीय सेवाओं, फिनटेक, एआई, स्वास्थ्य और मीडिया जैसे उद्योग क्षेत्रों के लिए मुंबई महानगरीय क्षेत्र को वैश्विक सेवा केंद्र के रूप में स्थापित करना, स्लम पुनर्वास सहित 3 मिलियन किफायती घरों के निर्माण, पर्यटन एवं मनोरंजन केंद्रों के विस्तार, खासतौर पर समुद्र तट, क्रूज और प्राकृतिक पर्यटन को विकसित करने पर जोर दिया गया। बंदरगाहों के पास लॉजिस्टिक हब विकसित करना और वित्त वर्ष 2030 तक 60-70 मिलियन वर्ग फुट की अतिरिक्त भंडारण क्षमता बनाना।
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मुंबई को वैश्विक आर्थिक केंद्र बनाने के लिए वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम और मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) के गुरुवार को सामंजस्य करार भी हुआ है। इस दौरान सह्याद्रि राज्य अतिथि गृह में मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) को ‘वैश्विक वित्तीय केंद्र’ के रूप में विकसित करने पर नीति आयोग की विशेष रिपोर्ट का अनावरण भी किया गया। रिपोर्ट में नीति आयोग ने सात द्वीपों पर स्थित मुंबई को एमएमआर वित्तीय केंद्र बनाने के लिए निम्न सात महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं।
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मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर से मुंबई का वैश्विक वित्तीय केंद्र बनने का सपना साकार हो रहा है। मैं बहुत खुश हूं कि यह सपना सच हो रहा है। इससे आने वाले वर्षों में मुंबई की जीडीपी दोगुना हो जाएगी। मुंबई हम सभी के लिए एक जीवन रेखा है। मुंबई बदलेगी तो महाराष्ट्र और देश के लिए भी अहम बदलाव होंगे।
उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि नीति आयोग ने महाराष्ट्र की एक लाख करोड़-एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की दिशा में उठाए गए कदमों को मजबूत किया है। नीति आयोग सही समय पर बहुत महत्वपूर्ण रिपोर्ट लेकर आया है। यह रिपोर्ट और समझौता ज्ञापन दोनों एक ऐतिहासिक क्षण हैं। पिछले कुछ वर्षों में, हमने मुंबई में बुनियादी ढांचे सहित विभिन्न परियोजनाओं को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया है।