विधान भवन झड़प मामले में राज ठाकरे की प्रतिक्रिया (सौजन्यः सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान विधान भवन परिसर के अंदर गुरुवार 17 जुलाई को हंगामा हो गया। बीजेपी विधायक गोपीचंद पडलकर और एनसीपी-(एसपी) नेता जितेंद्र आव्हाड के समर्थकों के बीच झड़प हो गई। दोनों पक्षों के बीच हाथापाई और मारपीट तक की नौबत आ गई। इस घटना के बाद पुरे महाराष्ट्र से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है।
इस बीच मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। अपनी प्रतिक्रिय देते हुए उन्होनें कहा कि गुरुवार को मैंने विधान भवन क्षेत्र में सत्ताधारी दल के विधायकों और विपक्षी विधायकों के कार्यकर्ताओं के बीच हुई हिंसक झड़प का एक वीडियो देखा। यह वीडियो देखकर सचमुच मन में आया, “हमारे महाराष्ट्र को ये क्या हो गया है?”
राज ठाकरे ने कहा कि मेरा मानना है कि महाराष्ट्र की जनता अब उन लोगों को पार्टी में शामिल करने, उनका इस्तेमाल दूसरी पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं पर गंदी टिप्पणियां करने और फिर से राजनीतिक हथकंडे अपनाने की मूर्खता को समझ गई है, क्योंकि वे भूल गए हैं कि सत्ता एक साधन होनी चाहिए, साध्य नहीं। मैं मराठी लोगों से ही पूछूंगा, ‘महाराष्ट्र किसके हाथ में दिया गया है?’
काल विधानभवन परिसरात सत्ताधारी पक्षाचे आमदार आणि विरोधी पक्षातील आमदार यांच्या कार्यकर्त्यांच्यात तुफान हाणामारी झाल्याची चित्रफीत पाहिली. ही चित्रफीत पाहून मला खरंच प्रश्न पडला, ‘ काय अवस्था झालीये आपल्या महाराष्ट्राची ?’ सत्ता हे साधन असावं साध्य नाही याचा विसर पडल्यामुळे… — Raj Thackeray (@RajThackeray) July 18, 2025
राज ठाकरे ने कहा कि अगर मेरे महाराष्ट्र के सिपाही मराठी भाषा के लिए, मराठी लोगों के अपमान के लिए हाथ उठाते हैं, तो जो लोग उनके खिलाफ हैं, हमारी पार्टी के लिए, वे अब कहां छिपे हैं? मुझे गर्व है कि जब कोई मराठी भाषा या किसी मराठी व्यक्ति के गले में कील ठोकने की कोशिश करता है, तो मेरा महाराष्ट्र का सिपाही उसे थप्पड़ मारता है क्योंकि वह व्यक्तिगत ईर्ष्या से नहीं, बल्कि मेरी भाषा और मेरे मराठी लोगों के लिए होता है।
मेरे दिवंगत विधायक ने भी विधान भवन में एक प्रमुख विधायक को थप्पड़ मारा था, यह व्यक्तिगत द्वेष से नहीं, बल्कि इसलिए था क्योंकि उन्होंने मराठी को नीचा दिखाने की कोशिश की थी। लेकिन इस बारे में क्या?
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राज ठाकरे ने आगे कहा कि हालांकि मेरे पास सटीक आंकड़े नहीं हैं, लेकिन एक पुराने अनुमान के अनुसार, सत्र के एक दिन का खर्च कम से कम डेढ़ से दो करोड़ रुपये है। क्या यह पैसा आपकी व्यक्तिगत टिप्पणियों पर बर्बाद किया जाना चाहिए? महाराष्ट्र में इतने सारे लंबित मुद्दे हैं, राज्य का खजाना खस्ताहाल है, ठेकेदारों के कर्ज़ फंसे हैं, ज़िलों को विकास निधि नहीं मिल रही है।
ठाकरे ने कहा सत्ताधारी दल के विधायक और मंत्री ही सवाल पूछ रहे हैं कि क्या सत्र अब औपचारिकता मात्र रह गया है? क्या मीडिया को खिलाने के लिए ये छिछली बातें होने दी जा रही हैं ताकि यह सब अनदेखा कर दिया जाए? अगर आज ऐसे लोगों को माफ़ कर दिया जाता है, तो अभी से इस आँकड़े को देखते हुए, भविष्य में विधान भवन में विधायकों की हत्या हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा!
राज ठाकरे ने कहा कि मैं मीडिया में बचे हुए समझदार लोगों से गुज़ारिश करता हूं कि इन निंदनीय घटनाओं में न पड़ें, चाहे वे आपको कितना भी घसीटने की कोशिश करें। मैं सरकार को चुनौती देता हूं कि अगर उसमें ज़रा भी विवेक बचा है तो अपने ही लोगों पर कार्रवाई करे। अगर आप ऐसा नहीं करना चाहते, तो कोई बात नहीं, लेकिन हमें यह समझदारी मत सिखाइए कि मेरे महाराष्ट्र के सैनिक कब इन कट्टर मराठी विरोधियों का सफाया कर देंगे।