घाटकोपर बस्ती (pic credit; social media)
Maharashtra News: घाटकोपर में रह कर ‘चिरागनगर ची भूतं’ नामक किताब लिखने वाले समाज सुधारक अन्नाभाऊ साठे के पारिवारिक सदस्यों और करीबियों को डर सताने लगा है कि स्मारक के बहाने कहीं घाटकोपर से बेदखल ना कर दिया जाए। घाटकोपर के चिरागनगर में समाज सुधारक अन्ना भाऊ साठे के करीबी रिश्तेदारों और पड़ोसी प्रशासन के खिलाफ इकट्ठा होते दिखाई पड़ रहे हैं। पारिवारिक और करीबियों का कहना है कि अगर सरकार स्मारक बनाने के बहाने यहां से हटाने की कोशिश करेगी तो हम सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ सख्त धरना प्रदर्शन करेंगे, फिर भी सरकार हमारी बातें नहीं मानती हैं तो हम आत्मदाह करने को भी तैयार हैं।
लोगों का कहना है कि अन्नाभाऊ साठे का स्मारक वृहद स्वरूप में बने, उसके लिये हम खुद प्रयासरत हैं, लेकिन इस बहाने हमें कहीं दूसरी जगह विस्थापित करने की कोशिश ना करें अन्यथा इसका परिणाम बहुत बुरा होगा। बता दें कि घाटकोपर पश्चिम में चिरागनगर में अन्नाभाऊ साठे का स्मारक बनाया जाना है, जिसके लिए सरकार ने 305 करोड़ रुपए की निधि भी आवंटन कर दिया है। इस जगह पर बड़ी संख्या में स्लम है क्षेत्र का विकास दो फेस में किया जाना है। पहले फेस के अंदर तकरीबन 220 मकान प्रभावित हो रहे हैं, यहीं पर अन्नाभाऊ साठे का 5 मंजिला का वृहद स्मारक बनाया जाना है, जिसके लिए सरकार चाहती है कि एसआरए के माध्यम से क्षेत्र की पात्रता निश्चित कर लोगों को कहीं दूसरी जगह पीएपी के तहत विस्थापित किया जाए और बची हुई जगह पर स्मारक बनाया जाय, जिसकी जानकारी मिलते ही लोगों में आक्रोश फैल गया है।
क्षेत्र का बायोमेट्रिक सर्वे किया जा रहा है, एसआरए ने 63 लोगों को पात्रता की सूची में डाला है जबकि बाकी लोगों को अनिर्णित श्रेणी में रखा हुआ है। स्थानीय लोगों ने बताया कि हम विस्थापन के डर से एसआरए कार्यालय से लेकर सांसद, विधायक के यहां चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कोई मदद नहीं कर रहा है न ही अधिकारियों द्वारा सही जानकारी दी जा रही है। इस मसले पर एसआरए के अधिकारी 66 यहां पर स्मारक भी बनाया जाना चाहिए और हमको भी यहीं पर अस्थाई निवार दिया जाना चाहिए। हम यहां से कहीं दूसरी जगह नहीं जाएंगे, हम उनके घर परिवार के है प्रशासन जबरदस्ती हमें यहां हटा नहीं सकता, अगर ऐसी कोई गलती की हम उसके लिए कुछ भी करने को तैयार है।
अनिल साठे (नाती) का कहना है कि यह जगह रेलवे स्टेशन मेट्रो स्टेशन 66 यह बरस रोड के वेगल ही है। इस देना चाहत जगह को किसी दूसरे बिल्डर के हाथों में है। इसलिए स्मारक के नाम पर हमें यहां से हटाया जा रहा है। हम ऐसा नहीं होने देंगे हम रहेंगे भी यही और स्मारक भी यही बनेगा।
स्थानिय रहिवासी रउफ कुरेशी का कहना है कि 66 हम यहां पर स्मारक बनाने के लिए 25 वर्ष से लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन सरकार अभी तक इस पर ध्यान नहीं दे रही थी। अब हम लोगों को ही हटाने के लिए कोशिश कर रही है हम इसका सख्त विरोध करेंगे हमें स्मारक भी यहीं चाहिये और हम भी यहीं रहेंगे।
शहाजी नाना भाई थोरात, दामाद (साठे केन) ने बताया कि बायोमेट्रिक सर्वे चल रहा है बहुत से लोग मकान के कागजात नहीं जम्म कर रहे हैं। प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है सरकार स्मारक के लिए निधि की व्यवस्था की है स्मारक के लिये जगह कम पड़ रही है।
चिरागनगर के 7632 चौरस मीटर की जगह में समाज सुधारक लोक साहिर अन्ना भाऊ साठे का स्मारक, संसोधन और प्रशिक्षण केंद्र बनाया जाना है। जगह का मालिकाना हक सकीना गुलाम अली पोरबंदर वाला के पास है।
इसी जगह पर समाज सुधारक लोक साहिर अन्ना भाऊ साठे रहा करते थे, यहीं पर ‘चिरागनगर ची भूतं’ सहित सैकड़ों किताबें और कहानियां, उपन्यास लिखी जो कि काफी प्रचलित है। जिस पर कई फिल्में बनी, देशी विदेशी भाषाओं में अनुवादित की गई चिरागनगर धर्मवीर संभाजी पथ पर पहले फेस के लिये अकबर लाला चाल 1,2,3,4 नंबर, राजेन्द्र मिश्रा चाल, मोरे सेट चाल, जोगेंद्र सिंह चाल, अब्दुल पठान चाल, चिरागुद्दीन वाल के 5,14,10,11,7,2,3 नंबर चाल, पोरबंदर बंगलों चाल, सावन चाल, कल्याण जी देवजी चाल का समावेश है जो कि पूरा स्लम है, हजारों की संख्या में लोग रहते हैं। इन परिवारों में समाज सुधारक लोक साहिर अन्ना भाऊ साठे के पारिवारिक, रिश्तेदार और उनके करीबी आज भी है इन लोगों का कहना है कि हमे यहीं रहना है हम कहीं नहीं जाएंगे।