मुंबई: इन दिनों प्रदेश में हजारों छोटे-बड़े हाउसिंग प्रोजेक्ट (Housing Project) चल रहे हैं, जिन पर महारेरा (MahaRERA) की पैनी नजर है। अतीत के अनुभव को देखते हुए महारेरा ने ग्राहकों के साथ गड़बड़ी करने वाले विकासकों की सभी परियोजनाओं (Projects) पर नियंत्रण रखने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। संदिग्ध और विवादित परियोजनाओं की वित्तीय स्थिति, परियोजना से संबंधित वित्तीय लेन-देन को ध्यान में रखते हुए महारेरा ने एक वित्तीय लेखा परीक्षा फर्म नियुक्त की है। इस वित्तीय संस्थान की मदद से इन परियोजनाओं की समीक्षा शुरू कर दी गई है।
नियुक्त संस्था द्वारा महारेरा को दी गई पहली रिपोर्ट में 313 परियोजनाओं को ‘गड़बड़ी’ के रूप में चिन्हित किया गया है। जिन परियोजनाओं को कारण बताओ नोटिस (Notice) भेजा गया है, उनमें सबसे ज्यादा 109 परियोजनाएं उपनगर मुंबई की हैं। इसके बाद ठाणे में 58, पुणे में 56 और मुंबई शहर में 44 परियोजनाएं शामिल हैं। प्रारंभिक जांच के आधार पर इन परियोजनाओं को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। जल्द ही नवनियुक्त जांच टीम वस्तु स्थिति का पता लगाने के लिए परियोजना स्थल का दौरा करेगी। विकासकों द्वारा महारेरा को दी गई जानकारी का अध्ययन करने के बाद वित्तीय लेखा परीक्षा संस्था ने इन गड़बड़ियों का पता लगाया है।
इन परियोजनाओं पर 75 प्रतिशत से अधिक खर्च करने के बावजूद प्रोजेक्ट का वास्तविक कार्य 50 प्रतिशत से भी कम हुआ है। प्रोजेक्ट हस्तांतरित करने की समय सीमा छह महीने रह गई है। परियोजना के खिलाफ दस से अधिक उपभोक्ता शिकायतें लंबित हैं। इसके आधार पर इन परियोजनाओं का लेखांकन करते समय, उनकी बाजार क्रेडिट रेटिंग, डेवलपर की आईबीसी सूची (इंसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता 2016) के लिए परियोजना के चयन में सहायता ली जाती है। इसी से इन 313 परियोजनाओं में गड़बड़ियों और त्रुटियों को उजागर किया गया है। इन परियोजनाओं को ‘रेड सिग्नल’ दिखाने के बाद इनको भविष्य में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
महारेरा के अनुसार, जिन परियोजनाओं से निर्धारित समय के भीतर कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं होती है, उन्हें लिखित रूप में सूचित किया जाता है। इस कार्य के लिए नियुक्त जांच टीम परियोजना स्थल का दौरा करेगी और इन निर्माण कार्य का निरीक्षण करेंगे। निरीक्षण के दौरान परियोजना स्थल पर विकासक या उसके प्रतिनिधि को परियोजना की समस्त जानकारी के साथ उपस्थित होना अनिवार्य होता है। असहयोग की स्थिति में जांच टीम द्वारा दी गई रिपोर्ट को अंतिम माना जाएगा और आगे की कार्रवाई की जाएगी।
महारेरा ने एक ‘प्रोजेक्ट कंट्रोल सिस्टम’ लागू किया है, जो देश के किसी भी प्राधिकरण में मौजूद नहीं है। इस प्रणाली की सहायता से 19,539 परियोजनाओं की छंटनी की गई है। अवरुद्ध परियोजनाओं के पुनरुद्धार के लिए विकासकर्ताओं को स्व-नियामक संगठनों की सहायता, मुआवजे के लिए जारी वारंटों की वसूली के लिए एक स्वतंत्र अधिकारी की नियुक्ति, इस क्षेत्र में एजेंटों के लिए प्रमाणन और प्रशिक्षण जैसी गतिविधियां शुरू की जा चुकी हैं।