नॉन-AC लोकल (pic credit; social media)
Mumbai Non-AC Local Test: मुंबई लोकल ट्रेनें मुंबई की लाइफलाइन मानी जाती हैं लेकिन इन्हीं ट्रेनों में भीड़भाड़ और खुले दरवाजों की वजह से हर साल सैकड़ों यात्रियों की जान जाती है। हाल ही में भीड़भरी लोकल से गिरकर पांच यात्रियों की मौत के बाद प्रशासन हरकत में आ गया है। अब यात्रियों की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम उठाया गया है।
सोमवार को कुर्ला कारशेड में ऑटोमेटिक दरवाजों वाली नॉन-एसी लोकल ट्रेन का परीक्षण किया गया। इस परीक्षण का मकसद यह देखना था कि क्या स्वचालित दरवाजों वाली लोकल यात्रियों की जान बचाने में मददगार साबित हो सकती है। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि इस तकनीक का इस्तेमाल करने से ट्रेन चलने के दौरान यात्रियों का दरवाजों पर खड़ा होना या चलती ट्रेन से गिरने का खतरा काफी हद तक खत्म हो जाएगा।
मध्य रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि परीक्षण के दौरान ट्रेन के अंदर भीड़ और वेंटिलेशन को भी परखा गया। पहले यह आशंका जताई जा रही थी कि नॉन-एसी लोकल में स्वचालित दरवाजे बंद होने पर यात्रियों को दम घुटने जैसी परेशानी हो सकती है। इसी वजह से खास तौर पर वेंटिलेशन और एयर फ्लो का बारीकी से निरीक्षण किया गया। अधिकारी ने बताया कि अब इन नतीजों का अध्ययन किया जा रहा है और रिपोर्ट आने के बाद जल्द ही मध्य रेलवे की सेवाओं में इन ट्रेनों को शामिल किया जाएगा।
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मुंबई में हर रोज करीब 80 लाख यात्री लोकल ट्रेन से सफर करते हैं। लेकिन बढ़ती भीड़, कम कोच और खुले दरवाजे हमेशा जानलेवा साबित होते आए हैं। कई बार प्रशासन पर यह सवाल उठता रहा है कि सुरक्षा को लेकर इतने हादसों के बावजूद ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जाते। इस बार रेलवे ने सीधे हादसों के आंकड़ों को देखते हुए कड़ा निर्णय लिया है।
यात्रियों का कहना है कि अगर ऑटोमेटिक दरवाजों वाली नॉन-एसी लोकल समय पर सेवा में आ गई तो यह मुंबईकरों के लिए राहत की बड़ी खबर होगी। हालांकि कुछ यात्रियों ने यह भी चिंता जताई है कि गर्मी के मौसम में दरवाजे बंद रहने से सफर मुश्किल हो सकता है। रेलवे का दावा है कि वेंटिलेशन की समस्या को दूर करने के लिए तकनीकी सुधार किए गए हैं।
अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि परीक्षण रिपोर्ट कब आती है और यात्रियों को यह सुरक्षित लोकल सेवा कब तक मिलती है। अगर सब कुछ सही रहा तो मुंबई लोकल का सफर अब पहले से ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा।