उद्धव ठाकरे (pic credit; social media)
Uddhav Thackeray Dussehra Rally: महाराष्ट्र की सियासत में दशहरा रैली को लेकर इस बार गरमी तेज हो गई है। भाजपा ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे पर जोरदार पलटवार किया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने उद्धव को सीधी चुनौती देते हुए कहा है कि अगर उन्हें सच में बाढ़ पीड़ितों की चिंता है तो पार्टी की दशहरा रैली रद्द करें और उस पर होने वाला खर्च मराठवाड़ा के लोगों की मदद में लगाएं।
केशव उपाध्याय ने कहा कि मराठवाड़ा इस समय भयंकर बाढ़ की मार झेल रहा है। कई जिलों में लोग अपना सब कुछ खो चुके हैं। घर तबाह हो गए हैं, खेत डूब गए हैं और किसान बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं। उद्धव खुद पांच जिलों का दौरा कर चुके हैं और वहां की तबाही अपनी आंखों से देख चुके हैं। ऐसे में दिखावटी चिंता जताने के बजाय उन्हें ठोस कदम उठाने चाहिए।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के जमाने में दशहरा रैली विचारधारा का मंच हुआ करती थी। लेकिन आज यह केवल गद्दारी और पार्टी तोड़ने के आरोप-प्रत्यारोप का अखाड़ा बन गई है। “सवाल यह है कि जब पार्टी का असली मकसद खो गया है तो लाखों-करोड़ों रुपये बर्बाद कर रैली करने का क्या औचित्य है? यह पैसा जनता की मदद में क्यों नहीं लगाया जाता?”
केशव उपाध्याय ने उद्धव सरकार के कार्यकाल पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब महाविकास आघाड़ी की सरकार थी और महाराष्ट्र भारी बारिश व ओलावृष्टि से जूझ रहा था, तब उद्धव मुख्यमंत्री होकर भी घर बैठकर काम चलाते थे। किसानों को उस समय भी राहत नहीं मिल पाई थी। अब जब वे विपक्ष में हैं तो बाढ़ पीड़ितों का दर्द याद आ रहा है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि “यह प्रायश्चित करने का समय है। उद्धव को अपनी गलती मानते हुए इस बार रैली की जगह मददगार बनना चाहिए।”
सियासी गलियारों में अब इस बयान से नई बहस छिड़ गई है। सवाल उठ रहा है कि क्या उद्धव ठाकरे भाजपा की इस चुनौती का जवाब देंगे या फिर परंपरा के नाम पर रैली को हर हाल में आयोजित करेंगे। महाराष्ट्र की राजनीति में दशहरा रैली हमेशा ताकत प्रदर्शन का बड़ा मंच रही है। लेकिन इस बार बहस रैली बनाम राहत पर जाकर टिक गई है। जनता भी यही देख रही है कि उनके नेता संकट की घड़ी में उनके साथ खड़े होते हैं या सिर्फ मंच से भाषणों तक सीमित रहते हैं।