राज ठाकरे, एकनाथ शिंदे ( pic credit; social media)
BMC Elections: बीएमसी चुनाव की आहट के साथ ही मुंबई की सियासत में महापौर की कुर्सी को लेकर घमासान शुरू हो गया है। जहां एक ओर राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने अचानक दावा ठोककर हलचल मचा दी है, वहीं शिवसेना शिंदे गुट ने भी हुंकार भरते हुए साफ कर दिया है कि मेयर उनकी ही पार्टी का होगा।
अब तक बीएमसी में बड़ी ताकत न होने के बावजूद मनसे ने महापौर पद पर दावेदारी जताकर नई बहस छेड़ दी है। राजनीतिक गलियारों में सवाल उठ रहा है कि आखिर मनसे यह दावा सीट बंटवारे में दबदबा बनाने के लिए कर रही है या फिर पर्दे के पीछे कोई नई राजनीतिक खिचड़ी पक रही है।
उधर शिवसेना शिंदे गुट ने भी बीएमसी महापौर पद को लेकर अपनी मंशा साफ कर दी है। शिंदे गुट का कहना है कि उनके पास 50 से ज्यादा पूर्व नगरसेवकों का समर्थन है और बीएमसी पर उनकी पकड़ मजबूत है। इसीलिए मेयर उन्हीं का होगा।
बीजेपी भी पीछे नहीं है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ गठबंधन में होते हुए भी भाजपा ने खुद का “मिशन 150” घोषित कर दिया है। पार्टी ने साफ कहा है कि मुंबईकरों के भरोसे पर खरा उतरते हुए इस बार बीएमसी में भगवा लहराना ही लक्ष्य है। केंद्रीय नेतृत्व ने भी कार्यकर्ताओं को संदेश दे दिया है कि अबकी बार बीएमसी में पूर्ण बहुमत लाना ही प्राथमिकता होगी।
उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) ने भी महापौर पद जीतने का दावा ठोकते हुए कार्यकर्ताओं को जोश भरने का काम किया है। वहीं, उद्धव और राज ठाकरे के रिश्तों को लेकर भी अटकलें तेज हैं। चर्चा है कि दोनों भाई साथ आ सकते हैं, जिससे समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं। दशहरा रैली पर सभी की निगाहें टिकी हैं, जहां यह तस्वीर और साफ होगी कि ठाकरे बंधु एकजुट होते हैं या नहीं।
अब तस्वीर साफ है कि बीएमसी चुनाव महापौर की कुर्सी पर कब्जे की जंग में तब्दील हो चुका है। भाजपा का मिशन 150, शिंदे गुट की ताकत का दावा, मनसे की अचानक एंट्री और उद्धव गुट की पुरानी पकड़ ये सभी कारक मिलकर इस बार का चुनाव पहले से ज्यादा रोचक बनाने वाले हैं। मुंबई का महापौर कौन बनेगा, यह तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे लेकिन अभी से राजनीतिक गलियारों में गर्मी अपने चरम पर पहुंच चुकी है।