पालघर में इमारत ढलने का मामला (pic credit; social media)
Maharashtra News: महाराष्ट्र के पालघर जिले में पिछले महीने हुए दर्दनाक बिल्डिंग हादसे पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने कड़ा रुख अपनाया है। आयोग ने राज्य सरकार और पुलिस महानिदेशक (DGP) को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।
यह घटना 27 अगस्त को विरार (पूर्व) इलाके में हुई थी, जब चार मंजिला अपार्टमेंट की इमारत अचानक ढह गई। इस हादसे में 17 लोगों की मौत हो गई, जबकि आठ लोग गंभीर रूप से घायल हुए। जानकारी के मुताबिक, यह इमारत करीब दस साल पहले बनाई गई थी और कथित रूप से अनधिकृत थी।
एनएचआरसी ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि उसने मीडिया रिपोर्टों का स्वतः संज्ञान लिया है। आयोग ने कहा कि मृतकों और घायलों के परिवारजन लंबे समय से इस इमारत में रह रहे थे और वसई-विरार महानगरपालिका (VVMC) को बाकायदा कर (टैक्स) भी चुका रहे थे। निवासियों का मानना था कि नोटरीकृत दस्तावेजों के आधार पर यह इमारत वैध (अधिकृत) थी।
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आयोग ने टिप्पणी की कि यदि मीडिया में सामने आई खबरें सही हैं, तो यह मामला गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन को दर्शाता है। नागरिकों को सुरक्षित आवास का अधिकार है, लेकिन प्रशासन की लापरवाही और घटिया निर्माण सामग्री के इस्तेमाल ने दर्जनों जिंदगियों को निगल लिया।
बयान में यह भी उल्लेख किया गया कि इमारत के गिरने की एक वजह निर्माण की गुणवत्ता में भारी खामियां हो सकती हैं। 28 अगस्त को सामने आई एक रिपोर्ट के अनुसार, बिल्डिंग संभवतः खराब मटीरियल की वजह से ध्वस्त हुई। अब एनएचआरसी ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव और डीजीपी से जवाब तलब किया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि रिपोर्ट में हादसे की जिम्मेदारी तय करने, पीड़ितों को मुआवजा देने और भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की पूरी जानकारी शामिल होनी चाहिए।
इस हादसे ने न सिर्फ 17 परिवारों की खुशियां छीन लीं, बल्कि पूरे इलाके में असुरक्षा की भावना भी पैदा कर दी है। सवाल यह है कि आखिर कब तक लोग अपनी ही छत के नीचे असुरक्षित महसूस करते रहेंगे?