विपक्ष ने ठुकराया सरकार का ‘चायपान’ (सौजन्यः सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून सत्र से पहले ही सियासी टकराव चरम पर पहुंच गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा आयोजित परंपरागत चायपान कार्यक्रम को एमवीए (महा विकास आघाड़ी) ने सरेआम ठुकरा दिया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार में मंत्री घोटाले कर रहे हैं, किसानों को अनदेखा किया जा रहा है और मराठी भाषा को हाशिये पर डालकर हिंदी थोपी जा रही है। इतना ही नहीं, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के नेता आदित्य ठाकरे ने तीखा बयान देकर कहा कि सरकार के साथ चाय पीना पाप होगा।
रविवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में आदित्य ठाकरे ने कहा, “हम सोच रहे थे जाएं या नहीं, लेकिन तय किया कि चायपान में जाना पाप होगा। भाजपा की ये सरकार दो गद्दार गुटों और तीन सिरों वाली पार्टी के भरोसे चल रही है। सबकी बातें तीन दिशाओं में जाती हैं। मुख्यमंत्री जिन लोगों के साथ चाय पीना चाहते हैं, उन्हीं पर कभी खुद भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।” उन्होंने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा, “ये वही पार्टी है जो कहती थी ‘ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा’, लेकिन अब उनके मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।”
विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा, “हमें भी चायपान का निमंत्रण मिला है। लेकिन राज्य में किसानों की हालत बदतर है। सरकार तीन दलों के बीच खिंची हुई है, मराठी भाषा के साथ अन्याय हो रहा है और हिंदी थोपी जा रही है। मंत्री भ्रष्टाचार में डूबे हैं और सत्ताधारी नेताओं का अहंकार चरम पर है। ऐसे में हम सरकार के साथ बैठकर चाय कैसे पी सकते हैं?”
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “यह सरकार किसानों का अपमान करने वाली है। दो साल से एक भी रुपया सीधे किसानों को नहीं दिया। मंत्री कमीशन के लिए आपस में लड़ रहे हैं। एक-दूसरे के बजट पर नजर गड़ाए हुए हैं। जनता के सवालों पर सरकार के पास कोई जवाब नहीं। ऐसे में चायपान में जाकर सरकार के साथ बैठना और हंसना-बोलना हमें पाप लगता है।”
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विपक्ष के इस बहिष्कार पर शिंदे-फडणवीस सरकार ने पलटवार किया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने कहा, “विपक्ष सिर्फ ड्रामा कर रहा है। आघाड़ी के नेताओं के पास जनता के सवालों का कोई समाधान नहीं है। ये सिर्फ आरोप लगाकर मीडिया में सुर्खियां बटोरना चाहते हैं।”
मुख्यमंत्री शिविर से जुड़े एक नेता ने कहा, “चायपान कार्यक्रम लोकतंत्र में संवाद का अवसर होता है। विपक्ष ने जनता की आवाज उठाने के बजाय उसमें भाग लेने से मना करके गैर-जिम्मेदारी दिखाई है।”
विधानमंडल का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है और चायपान बहिष्कार के साथ ही साफ हो गया है कि सदन में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच जबरदस्त टकराव देखने को मिलेगा। विपक्ष ने पहले ही एलान कर दिया है कि वह किसानों की समस्याओं, महंगाई, बेरोजगारी, मराठी भाषा की उपेक्षा और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरेगा।