मुंबई लोकल ट्रैक (pic credit; social media)
Trespass Control Scheme: मुंबई की जीवनरेखा मानी जाने वाली लोकल ट्रेनें रोजाना लाखों यात्रियों को ढोती हैं। लेकिन इस व्यवस्था की सबसे बड़ी समस्या रही है पटरी पार करना। जल्दबाज़ी में यात्री अक्सर सीधे ट्रैक पर उतर जाते हैं या समय बचाने के लिए खतरनाक तरीके से पटरियाँ पार करते हैं। अब तक इस लापरवाही ने हजारों जिंदगियाँ लील ली हैं। लेकिन यह तस्वीर अब बदलने जा रही है।
मुंबई रेलवे विकास निगम (MRVC) ने सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे के साथ मिलकर मुंबई अर्बन ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट फेज़-3 (MUTP-3) के तहत ट्रेसपास कंट्रोल उपायों को लगभग पूरा कर लिया है। इस प्रोजेक्ट पर कुल 551 करोड़ रुपये की लागत स्वीकृत की गई थी। इसमें से अब तक 98 प्रतिशत से अधिक काम पूरा हो चुका है।
सेंट्रल रेलवे ने 32.914 किमी लंबी सीमा दीवार तैयार की है, जबकि वेस्टर्न रेलवे क्षेत्र में 10.75 किमी लंबी सुरक्षा दीवार बनाई गई है। इसके अलावा 34 लोकेशनों पर काम किया गया, जिसमें 27 नए फुटओवर ब्रिज (FOB), 2 एफओबी एक्सटेंशन, 2 लिंक ब्रिज, 1 होम प्लेटफॉर्म और 1 सबवे का निर्माण शामिल है। नाहुर-मुलुंड के बीच फेसिंग का काम भी पूरा हो गया है। केवल ठाणे एंड (कलवा) पर कुछ काम बाकी है।
यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इन उपायों पर 551 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल रेल दुर्घटनाओं में कमी लाएगा, बल्कि यात्रियों के व्यवहार में भी बदलाव करेगा। अब उन्हें मजबूरी में सुरक्षित रास्ते यानी फुटओवर ब्रिज और सबवे का इस्तेमाल करना होगा।
यह परियोजना सितंबर 2025 तक पूरी होने की उम्मीद है। इसके साथ ही मुंबई लोकल का सबसे बड़ा संकट – ट्रैक ट्रेसपासिंग – हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। एमआरवीसी के सीपीआरओ सुनील जी. उदासी ने कहा कि यह कदम सुरक्षा और दुर्घटनाओं की रोकथाम की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।