कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
Maharashtra Third Language Controversy: डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता वाली एक समिति ने 8 अक्टूबर को राज्य के लोगों की तीसरी भाषा के बारे में राय जानने के लिए गूगल फॉर्म के जरिए प्रश्नावली जारी की, जबकि शिक्षकों, प्राध्यापकों, संस्थाओं और संगठनों के लिए भी प्रश्नावली जारी की गई।
मराठी भाषाविदों, मराठी प्रेमियों और शिक्षाविदों ने इस पर सवाल उठाए हैं और सलाह दी है कि स्कूलों में तीसरी भाषा अनिवार्य नहीं होनी चाहिए।
मालूम हो कि पूर्व में राज्य के सभी स्कूलों में पहली से तीसरी भाषा तक हिंदी को अनिवार्य करने के फैसले का विपक्षी दलों, भाषाविदों और शिक्षक संगठनों ने कड़ा विरोध किया था। जिसके बाद मुख्यमंत्री ने दोनों सरकारी फैसलों को रद्द कर दिया।
तीसरी भाषा को लेकर सरकार ने डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया, जो अब जनता की राय जानेगी। वर्तमान में मराठी माध्यम के स्कूलों में कक्षा पांचवीं से हिंदी भाषा अनिवार्य है।
नई नीति के अनुसार, सीधा प्रश्न यह है कि त्रिभाषा सूत्र (मराठी, अंग्रेज़ी, हिंदी) किस कक्षा से लागू किया जाना चाहिए। किंडरगार्टन से दूसरी कक्षा तक अंग्रेजी और हिंदी किस कक्षा से पढ़ाई जानी चाहिए? कक्षा 8 से 10 तक हिंदी, संस्कृत, पाली, अर्ध-मागधी (पूर्ण या 50:50 प्रतिशत) में से कौन-सी भाषा विकल्प बरकरार रखा जाना चाहिए? अंग्रेजी वार्तालाप, सूचना प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर विज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता विषयों पर भी राय मांगी गई है।
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शिक्षा विशेषज्ञ रमेश पानसे ने कहा कि अगर समिति वाकई मराठी लोगों की बात सुनना चाहती है, तो कक्षा 1 से 4 तक मराठी, कक्षा 5 से अंग्रेजी और कक्षा 7 से हिंदी पढ़ाई जानी चाहिए। इसका मतलब है कि बच्चे सही उम्र में भाषा का अच्छा अभ्यास कर पाएँगे और भाषा सीख पाएंगे। बच्चे दसवीं कक्षा में अच्छे अंकों से पास होंगे।
समन्वय कार्य समिति के संयोजक डॉ. दीपक पवार का कहना है कि हम नहीं चाहते कि कोई तीसरी भाषा अनिवार्य हो। जाधव समिति की भी कोई ज़रूरत नहीं है। अगर सरकार गूगल एप्लीकेशन के जरिए हिंदी को अनिवार्य बनाने की कोशिश करती है, तो हम उसे नाकाम कर देंगे।