बीएमसी (pic credit; social media)
BMC Flood Relief Plan: हर साल बारिश के मौसम में जलभराव से जूझने वाली मुंबई को अब राहत मिलने की उम्मीद है। भारी बारिश के दौरान शहर के निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है, जिससे नागरिकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस समस्या से निपटने के लिए बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने 12,000 करोड़ रुपये की मेगा योजना तैयार की है। इस योजना का मकसद मुंबई के पुराने जल निकासी ढांचे को आधुनिक बनाना और शहर की जलवायु प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना है।
बीएमसी के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले छह वर्षों में मुंबई में भारी बारिश की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हुई है। 24 घंटे में औसत अतिभारी वर्षा 132 मिमी से बढ़कर 182 मिमी तक पहुंच गई है। मानसून में अचानक होने वाली इस तीव्र बारिश से शहर का drainage सिस्टम फेल हो जाता है और कई इलाकों में सड़कें नदियों में तब्दील हो जाती हैं।
बीएमसी ने नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) को 12,705 करोड़ रुपये का प्रस्ताव पेश किया है। इसमें 26 बड़े बाढ़ निवारण उपायों की रूपरेखा तैयार की गई है। इन उपायों के जरिए जलभराव वाले संवेदनशील इलाकों में स्थायी समाधान करने की योजना है।
बारिश के दौरान हिंदमाता जंक्शन, परेल, मुंबई सेंट्रल, चुनाभट्टी, मीठी नदी के आसपास का इलाका, कुर्ला, अंधेरी सबवे, मालाड सबवे और मानखुर्द सबवे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। योजना लागू होने के बाद इन जगहों पर जलभराव की समस्या पर काबू पाया जा सकेगा।
मनपा अधिकारियों का कहना है कि यह प्रोजेक्ट केवल बाढ़ से राहत देने वाला नहीं होगा, बल्कि मुंबई की जलवायु प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाएगा। इसके जरिए जल निकासी ढांचे का विस्तार किया जाएगा और हाई-इंटेंसिटी रेनफॉल (भारी वर्षा) से निपटने की तैयारी की जाएगी।
स्थानीय नागरिकों और शहरी नियोजन विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह योजना समयबद्ध तरीके से लागू होती है तो मुंबई की दशकों पुरानी बाढ़ समस्या पर काफी हद तक रोक लग सकेगी। हालांकि, इतनी बड़ी परियोजना को अमल में लाना आसान नहीं होगा। इसके लिए वित्तीय मंजूरी, तकनीकी अध्ययन और ग्राउंड लेवल पर सटीक कार्ययोजना जरूरी है। मुंबई की जीवनरेखा कही जाने वाली बारिश अब डर का कारण न बने, यही इस योजना का असली लक्ष्य है।