बिहार चुनाव और तहव्वुर राणा प्रत्यर्पण का संजय राउत ने जोड़ा कनेक्शन। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
मुंबई: मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से दिल्ली लाया गया है। अब उससे पूछताछ की जाएगी। कड़ी जांच की जाएगी। इधर उसके यहां आते ही अलग तरह की सियासत शुरू हो गई है। शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के सांसद संजय राउत ने दावा करते हुए कहा है कि सरकार बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान तहव्वुर राणा को फांसी दे सकती है। शिवसेना (UBT) के राज्यसभा सांसद संजय राउत अपने बयानों से हमेशा ही चर्चा में रहते हैं। इस बार भी उन्होंने तहव्वुर राणा प्रत्यर्पण पर कुछ ऐसा बयान दिया कि सियासी भूचाल आ गया है।
संजय राउत मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा को तुरंत फांसी की सजा देने का समर्थन किया। राउत ने कहा कि तहव्वुर को तुरंत फांसी दी जानी चाहिए लेकिन उसे तो बिहार में विधानसभा चुनाव, जो कि इस साल के अंत तक होने की संभावना है, के दौरान फांसी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि आतंकी तहव्वुर राणा को भारत लाने के लिए 16 साल से कानूनी लड़ाई चल रही थी और यह कांग्रेस के शासनकाल के दौरान शुरू हुई थी। उन्होंने कहा कि इसलिए तहव्वुर राणा को वापस लाने का श्रेय किसी को नहीं लेना चाहिए।
अबू सलेम का जिक्र करते हुए संजय राउत ने कहा कि भारत प्रत्यर्पित होने वाला तहव्वुर पहला आरोपी नहीं है। इससे पहले मुंबई में 1993 के सिलसिलेवार बम विस्फोट के आरोपी अबू सलेम को भी भारत प्रत्यर्पित किया गया था। इसके साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि आर्थिक भगोड़े नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को भी भारत वापस लाया जाए। इससे पहले तहव्वुर राणा को अमेरिका से सफलतापूर्वक प्रत्यर्पित कराने के बाद आज गुरुवार को भारत लाया गया और फिर उसे औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया। जांच एजेंसी से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा को गुरुवार शाम एक स्पेशल विमान के जरिए दिल्ली लाया गया।
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पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव की रिहाई की मांग पर जोर देते हुए संजय राउत ने यह भी कहा कि जाधव को भी वापस लाया जाना चाहिए। जाधव को साल 2016 में पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया था। कथित जासूसी के लिए पाकिस्तान की सैन्य अदालत उन्हें मौत की सजा सुना चुकी है। हालांकि भारत की ओर से पाकिस्तान के इन आरोपों को मनगढ़ंत करार दिया गया और इसे खारिज कर दिया गया।
बताया जाता है कि कुलभूषण जाधव को ईरान से अगवा किया गया था, जहां उनके अपने वैध व्यापारिक हित थे। फिर वहां से उन्हें पाकिस्तान लाया गया। जाधव को बचाने के लिए भारत ने इंटरनेशनल कोर्ट का रुख किया, जिसने पाकिस्तान को उनकी फांसी पर रोक लगाने का आदेश दिया था।