महाराष्ट्र सरकार का मास्टरस्ट्रोक (सौजन्यः सोशल मीडिया)
मुंबई: सामाजिक न्याय और शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए महाराष्ट्र सरकार ने अनुसूचित जातियों को सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस बात को मंजूरी दी गई कि महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग को अब वैधानिक दर्जा प्रदान किया जाएगा। यह निर्णय सामाजिक समावेश, अधिकार सुरक्षा और संस्थागत मजबूती की दिशा में एक निर्णायक पहल मानी जा रही है।
सिर्फ यही नहीं, बैठक में शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए, जिनमें विशेष रूप से चिकित्सा और नर्सिंग छात्रों के वजीफे (विद्यावेतन) में बड़ी बढ़ोतरी की घोषणा की गई है। राज्य सरकार के अनुसार, यह फैसला छात्रों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्रोत्साहन देगा।
यह बैठक सामाजिक न्याय, शिक्षा और वित्तीय सुधार के क्षेत्र में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। अनुसूचित जाति आयोग को वैधानिक दर्जा देना जहां सामाजिक समानता की दिशा में बड़ा कदम है, वहीं छात्रों को मिलने वाली वजीफा बढ़ोतरी, राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्रोत्साहन देने का प्रयास है। इन निर्णयों से लाखों छात्रों और समाज के वंचित तबकों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।
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सामाजिक न्याय विभाग
महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग को वैधानिक दर्जा दिया जाएगा।
इस फैसले को कानूनी रूप देने के लिए आगामी विधानसभा सत्र में एक विधेयक पेश किया जाएगा।
यह आयोग अब अधिक शक्तिशाली और जवाबदेह होगा, जिससे अनुसूचित जातियों की समस्याओं का समाधान और अधिक प्रभावी ढंग से हो सकेगा।
चिकित्सा शिक्षा विभाग
सरकारी फिजियोथेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी पाठ्यक्रमों के छात्रों को बड़ी राहत मिली है।
डिग्री कोर्स के छात्रों के वजीफे में 6 हजार 250 रुपये प्रतिमाह की वृद्धि।
पोस्टग्रेजुएट छात्रों के वजीफे में 10 हजार रुपये प्रतिमाह की बढ़ोतरी।
बी.एससी. नर्सिंग के छात्रों को अब से 8 हजार रुपये प्रतिमाह का वजीफा मिलेगा, जिससे उन्हें शिक्षा के दौरान आर्थिक सहारा मिलेगा।
राज्य उत्पादन शुल्क विभाग
राज्य की आय बढ़ाने के लिए विभिन्न शुल्कों में संशोधन किया गया है।
इस निर्णय से राज्य सरकार के राजस्व में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होने की संभावना जताई गई है।
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पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने इस निर्णय की सराहना करते हुए कहा, “यह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में लिया गया दूरदर्शी निर्णय है, जो सामाजिक न्याय की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। अनुसूचित जाति आयोग को वैधानिक दर्जा मिलने से समाज के पिछड़े वर्गों को न्याय के लिए एक मजबूत मंच मिलेगा।” विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने इस निर्णय का स्वागत तो किया, लेकिन सवाल भी उठाए।
“सरकार ने अच्छा फैसला लिया है, लेकिन यह भी देखना होगा कि आयोग को दी गई शक्तियों का वास्तव में क्रियान्वयन कितना प्रभावी होगा। सिर्फ दर्जा देने से काम नहीं चलेगा, ज़मीन पर बदलाव दिखना चाहिए।” कांग्रेस विधायक बालासाहेब थोरात ने कहा, “यह फैसला स्वागत योग्य है, लेकिन छात्रों के लिए जो वजीफे की राशि बढ़ाई गई है, वह पहले ही काफी कम थी। हमें देखना होगा कि यह वृद्धि पर्याप्त है या नहीं। साथ ही सभी छात्रों तक यह लाभ समय पर पहुंचे, इसकी निगरानी जरूरी है।”