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कैसे एक शिक्षक बना महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री? जानिए बालासाहेब के सबसे भरोसेमंद मनोहर जोशी की कहानी

Manohar Joshi journey: मनोहर जोशी महाराष्ट्र के पहले गैर-कांग्रेसी सीएम थे। आज उनकी जयंती है। आइए जानते है भारतीय राजनीति में 'सभ्य चेहरा' के रूप में विख्यात जोशी के बारे में।

  • By आकाश मसने
Updated On: Dec 02, 2025 | 06:01 AM

बालासाहेब ठाकरे के साथ मनोहर जोशी (सोर्स: सोशल मीडिया)

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Manohar Joshi Birth Anniversary Special: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर जोशी (Manohar Joshi) की जयंती 2 दिसंबर को होती है। भारतीय राजनीति में ‘सभ्य चेहरा’ के रूप में विख्यात, मनोहर जोशी का राजनीतिक सफर एक शिक्षक के रूप में शुरू होकर मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष जैसे सर्वोच्च पदों तक पहुंचा।

मनोहर जोशी का जन्म 2 दिसंबर 1937 को महाराष्ट्र के तटीय कोंकण क्षेत्र के रायगढ़ जिले के नंदवी गांव में एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम गजानन कृष्ण जोशी और माता का नाम सरस्वती गजानन था।

कई भाषाओं में महारत हासिल की

जोशी ने अपनी शिक्षा मुंबई में प्राप्त की और कानून की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने मुंबई के प्रतिष्ठित वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट (VJTI) से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री भी हासिल की थी। मनोहर जोशी को मराठी, हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषाओं में महारत हासिल थी।

उनके निजी जीवन की बात करें तो उन्होंने 14 मई, 1964 को अनघा जोशी से विवाह किया था। इस दंपति के एक बेटा उन्मेश और दो बेटियां अस्मिता और नम्रता हैं। दुखद रूप से, उनकी पत्नी अनघा जोशी का निधन 2020 में 75 वर्ष की आयु में हो गया था।

अपने व्यावसायिक करियर की शुरुआत में, मनोहर जोशी ने 1967 में बतौर अध्यापक काम किया था। उन्होंने बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) में एक अधिकारी के रूप में भी कार्य किया, लेकिन बाद में उन्होंने युवाओं को सशक्त बनाने के लक्ष्य के साथ कोहिनूर टेक्निकल इंस्टिट्यूट (KTI) की स्थापना की। इसके अलावा, उन्होंने खंडाला में कोहिनूर बिजनेस स्कूल और कोहिनूर आईएमआई स्कूल ऑफ हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट की भी स्थापना की थी।

RSS से की राजनीतिक जीवन की शुरुआत

मनोहर जोशी के राजनीतिक करियर की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के साथ हुई थी। हालांकि, शिवसेना की स्थापना 1966 में होने के बाद वे इस पार्टी से जुड़ गए। जोशी 1967 से ही शिवसेना के वफादार माने जाते थे और लगभग चार दशकों तक वे पार्टी से जुड़े रहे।

बालासाहेब ठाकरे के सबसे भरोसेमंद नेता

मनोहर जोशी काे शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के सबसे करीबी और सबसे भरोसेमंद नेताओं में से एक माना जाता था। शिवसेना के गठन में भी उनकी अहम भूमिका थी। 1980 के दशक में, मनोहर जोशी शिवसेना के ताकतवर नेताओं में से एक बनकर उभरे थे और वे पार्टी संगठन पर अपनी मजबूत पकड़ के लिए जाने जाते थे।

बालासाहेब ठाकरे के साथ मनोहर जोशी (सोर्स: सोशल मीडिया)

महाराष्ट्र के पहले गैर कांग्रेसी सीएम बने जोशी

मार्च 1995 में जब महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा का गठबंधन सत्ता में आया, तो मनोहर जोशी को मुख्यमंत्री बनाया गया। वह अविभाजित शिवसेना की ओर से राज्य के मुख्यमंत्री बनने वाले पहले नेता थे।

चूंकि बालासाहेब ठाकरे ने खुद सीएम न बनने का फैसला किया था, इसलिए उन्होंने अपने सबसे करीबी मनोहर जोशी को यह पद सौंपा। वह महाराष्ट्र के पहले गैर-कांग्रेस मुख्यमंत्री भी थे। उन्होंने 1995 से 1999 तक महाराष्ट्र की सेवा की।

अपने कार्यकाल के दौरान, मनोहर जोशी ने महिलाओं के लिए कामधेनु नीति, बुजुर्गों के लिए मातोश्री वृद्धाश्रम योजना और युवाओं के लिए सैनिक स्कूल जैसी योजनाएं शुरू की थीं।

जोशी के राजनीतिक करियर की प्रमुख उपलब्धियां

• 1967 में राजनीति में प्रवेश करने के बाद, मनोहर जोशी 1968 से 1970 तक मुंबई के निगम पार्षद रहे।
• 1970 में, वह नगर निगम की स्थाई समिति (Standing Committee) के सभापति बने।
• 1976 से 1977 तक, मनोहर जोशी ने मुंबई के महापौर (मेयर) के रूप में भी कार्य किया।
• 1972 में, वह महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य चुने गए और शिवसेना के कोटे से लगातार तीन कार्यकाल पूरे किए।
• 1990 में, वह महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य चुने गए और इस दौरान उन्होंने नेता विपक्ष की भूमिका भी निभाई।
• 1995 से 1999 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे।

इस्तीफा और अन्य घटनाएं

1999 में उन्हें एक विवाद के कारण इस्तीफा देना पड़ा था। यह घटना पुणे में एक स्कूल के लिए आरक्षित जमीन के एक हिस्से को उनके दामाद गिरीश व्यास के दोस्त को जारी करने से जुड़ी थी। मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यकाल पूरा करने के बाद, जोशी ने दिल्ली की ओर रुख किया।

यह भी पढ़ें:- एक महीने के अंदर जाएगी PM मोदी की कुर्सी! महाराष्ट्र के पूर्व सीएम के दावे से सियासी हलचल तेज

वाजपेयी सरकार में बने लोकसभा अध्यक्ष

1999 के लोकसभा चुनाव में, उन्होंने मुंबई की उत्तर-मध्य सीट से शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़ा और तेरहवीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। वह केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट में मंत्री भी रहे। जोशी ने 2002 से 2004 तक केंद्र की वाजपेयी सरकार में लोकसभा अध्यक्ष का पद संभाला।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मनोहर जोशी (सोर्स: सोशल मीडिया)

उन्हें तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी के हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन के बाद सर्वसम्मति से लोकसभा अध्यक्ष चुना गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ही उनके नाम का प्रस्ताव रखा था। वह संसद सदस्य और राज्यसभा सदस्य भी रहे।

अंतिम दिनों में राजनीतिक हाशिए पर चले गए

अपने अंतिम वर्षों में, मनोहर जोशी राजनीति में अधिक सक्रिय नहीं थे। हालांकि, कुछ साल पहले उन्होंने सार्वजनिक तौर पर उद्धव ठाकरे की आलोचना की थी, जिसके बाद वे शिवसेना की राजनीति में हाशिए पर चले गए थे।

दिल का दौरा पड़ने से हुआ निधन

86 वर्ष की उम्र में फरवरी 2024 में मनोहर जोशी का निधन हो गया। इससे एक साल पहले उन्हें मस्तिष्काघात (cerebral hemorrhage) के बाद मुंबई के पीडी हिंदुजा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 23 फरवरी 2024 की तड़के उन्हें अचानक बेचैनी महसूस हुई। दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें हिंदुजा अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

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Published On: Dec 02, 2025 | 06:01 AM

Topics:  

  • Birth Anniversary
  • Maharashtra
  • Maharashtra Politics
  • Shiv Sena

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