मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (सौजन्य-एएनआई)
मुंबई: महायुति सरकार ने अब राज्य के सरकारी कर्मचारियों पर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। राज्य की महायुति सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए नया आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार, सरकारी कर्मचारी सोशल मीडिया पर सरकारी नीतियों, वरिष्ठों की आलोचना या मत प्रदर्शन नहीं कर सकेंगे।
महायुति सरकार का यह फैसला महाराष्ट्र सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1979 के उल्लंघन से जोड़ते हुए लिया गया है। इसका उल्लंघन करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ इस तरह की कार्रवाई का प्रावधान है। सरकार के इस निर्णय से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में पड़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
15 मई 2025 को सरकार द्वारा जारी एक परिपत्र के अनुसार, यह देखा गया है कि कुछ कर्मचारी और अधिकारी फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर, इंस्टाग्राम, वॉट्सऐप और लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया पर सरकार के नीतिगत फैसलों और वरिष्ठ अधिकारियों की आलोचना कर रहे हैं। परिपत्र में कहा गया है कि इस तरह की कार्रवाइयां सरकारी मामलों की अखंडता और अखंडता को कमजोर करती हैं।
मामले को बहुत गंभीर बताते हुए परिपत्र में कर्मचारियों को सख्ती से निर्देश दिया गया है कि वे सोशल मीडिया पर ऐसी कोई भी सामग्री पोस्ट न करें। आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि सरकारी कर्मचारी या अधिकारी सरकार की नीतियों या वरिष्ठों के खिलाफ कोई राय, आलोचना या आपत्ति व्यक्त करते हैं, तो वे महाराष्ट्र सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1979 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई के अधीन होंगे।
महायुति सरकार के इस फैसले की विपक्ष ने आलोचना की है। महाराष्ट्र कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी छीनना बताया है। हर्षवर्धन सपकाल ने कहा सरकार चाहे जो करे, भ्रष्टाचार, लूट के खिलाफ लोग आवाज न उठाएं, ऐसा ये लोगों की आवाज को दबाने का प्रयास है। मुहजोर सरकार और प्रशासन अपनी नाकामी छिपाने के लिए अभिव्यक्ति की आजादी छीनने की कोशिश कर रही है।