देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Maharashtra Politics: महायुति सरकार में डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। सूत्रों के मुताबिक शिंदे के नगर विकास विभाग पर नकेल कस दिया गया है। ऐसे आरोप लग रहे थे कि एकनाथ शिंदे के नगर विकास विभाग से केवल शिवसेना के विधायकों को ही मनचाहा फंड मिल रहा है। इससे महायुति खेमे में खटास का माहौल बन रहा था।
अब राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले के तहत एकनाथ शिंदे को अब सीएमओ पर निर्भर रहना पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि अब से एकनाथ शिंदे के नगर विकास विभाग से जुड़ी फाइल सीएमओ ऑफिस जाएगी जहां से हरी झंडी मिलने के बाद ही फंड वितरण को मंजूरी मिलेगी।
नगर विकास विभाग राज्य मंत्रिमंडल के महत्वपूर्ण विभागों में से एक है। इस विभाग की जिम्मेदारी डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के पास है। इस विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत विधायकों और नगर पालिका के नगरसेवकों को धन मुहैया कराया जाता है। लेकिन ऐसे आरोप लग रहे थे कि पिछले कुछ महीनों से नगर विकास विभाग से सिर्फ़ शिंदे गुट के विधायकों को धन दिया जा रहा था।
इस वजह से कुछ विधायकों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इसकी शिकायत की थी। इसके बाद अब इस विभाग पर कड़ी नजर रखने का फैसला किया गया है। अगर एकनाथ शिंदे अपने नगर विकास विभाग से कोई बड़ी राशि बांटना चाहते हैं तो उस निधि के लिए पहले मुख्यमंत्री की मंजूरी लेना अनिवार्य होगा।
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सूत्रों के मुताबिक सीएम फडणवीस ने फैसला किया है कि महायुति के अंदर किसी की भी मनमानी नहीं चलेगी। बीजेपी का मानना है कि महायुति में शामिल सभी दलों के साथ बराबर का न्याय होना चाहिए। यही वजह है कि नगर विकास विभाग को लेकर यह अहम फैसला लिया गया। इससे पहले मुख्यमंत्री ने सहयोगी दलों के मनमाने प्रबंधन पर लगाम लगाई थी जिससे यह देखा गया था कि महायुति में किसी तरह की अराजकता न हो। खास बात यह कि नगरीय विकास विभाग एक मलाईदार विभाग है। इसलिए आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान शहरी क्षेत्रों में नगरीय विकास विभाग से बड़ी मात्रा में निधि वितरित होने की संभावना है।