महायुति की अर्थव्यवस्था बिगड़ी (सौजन्य-एएनआई)
मुंबई: बीजेपी, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राकां के गठबंधन वाली ‘महायुति’ सरकार ने नवंबर में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन’ (लाडकी बहन) योजना और ‘अन्नपूर्णा’ योजना जैसी लोकलुभावन योजनाओं के दम पर शानदार जीत हासिल की थी। लेकिन इस जीत बड़ी कीमत मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली ‘महायुति’ सरकार को चुकानी पड़ रही है।
लाडकी योजना को लेकर विपक्ष और वित्त विभाग की पूर्व में दी गई चेतावनी सही साबित हो रही है। विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी नीत महायुति की सत्ता में वापसी कराने वाली ‘लाडकी बहन’ योजना की वजह से महाराष्ट्र सरकार की तिजोरी खाली हो गई। योजना का राज्य की आर्थिक स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, ऐसा दम भरनेवाली राज्य की महायुति सरकार ने अन्य विभागों में 5 से 30% की कटौती की घोषणा कर दी है।
नकदी की कमी के संकट से जूझ रही राज्य सरकार ने मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए राज्य के बजट का 100% खर्च नहीं करने का निर्णय लिया है। हाल ही में जारी किए गए एक सरकारी प्रस्ताव के अनुसार, पिछले साल के विधानसभा चुनावों से पहले कई लोकलुभावन योजनाओं को शुरू करने के कारण खातों को संतुलित करने के लिए संघर्ष कर रही राज्य सरकार ने विभिन्न विभागों में खर्च में 5-30% की कटौती करने का निर्णय लिया है।
निर्णय के अनुसार, सरकार इमारतों और सड़कों के निर्माण, वाहनों की खरीद और प्रचार आदि पर पूंजीगत व्यय में 30% की कटौती करेगी। जबकि ओवरटाइम भत्ता, टेलीफोन और पानी के बिल, किराया और कर, हथियार और गोला-बारूद, ईंधन और वाणिज्यिक सेवाओं के बजट में 20% कटौती की जाएगी। क्योंकि बजटीय आवंटन का 100% जारी किए जाने पर वित्त वर्ष 24-25 में राज्य का अनुमानित राजकोषीय घाटा 1.10 लाख करोड़ रुपये की बजाय बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच सकता है।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि सरकार की कुल प्राप्तियां लगभग 6.25 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है, जिसमें लगभग 5.10 लाख करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्तियां शामिल हैं। व्यय को प्राप्तियों के करीब रखने के लिए, व्यय में कटौती अपरिहार्य है क्योंकि वास्तविक राजकोषीय घाटा 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक होगा। लगभग 20% की औसत कटौती हमें आय और व्यय के बीच के अंतर को कम करने में सक्षम बनाएगी। अधिकारी ने कहा कि हालांकि इस तरह की बजट कटौती असामान्य नहीं है, लेकिन लोकलुभावन योजनाओं पर भारी खर्च के कारण पिछले वर्षों की तुलना में यह 5-10% अधिक है।
जुलाई 2024 में लाडकी बहन योजना की औपचारिक शुरुआत के बाद से, राज्य सरकार इस योजना के तहत 2.46 करोड़ लाभार्थी महिलाओं को प्रति माह लगभग 3,700 करोड़ रुपए का भुगतान कर रही है। ऐसी योजनाओं पर खर्च करने के लिए राज्य सरकार ने जून में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 6.69 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया था लेकिन बाद में 1.30 लाख करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट पेश करना पड़ा।
12 फरवरी तक राज्य सरकार ने 8.23 लाख करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन में से 6.18 लाख करोड़ रुपए जारी कर दिए हैं, हालांकि अब तक वास्तविक व्यय 3.86 लाख करोड़ रुपए है – जो बजटीय आवंटन का 46.89% है। वित्तीय वर्ष की शेष अवधि के लिए व्यय की सीमा राज्य बजट के 80-85% तक व्यय को सीमित करने का एक प्रयास है। सरकारी प्रस्ताव के अनुसार, राज्य सरकार ने अपने सभी विभागों से श्रेणियों के आधार पर बजटीय आवंटन के 70-95% तक व्यय को सीमित करने के लिए कहा है।
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निर्माण और निवेश बजट को 70% पर सीमित कर दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप पूंजीगत व्यय में भारी गिरावट आई है। संविदा सेवाओं और वेतन पर व्यय को 90% पर सीमित कर दिया गया है, जबकि वेतन बजट को 95% पर सीमित कर दिया गया है। हालांकि पेंशन, छात्रवृत्ति और वजीफा, ब्याज, ऋण चुकौती, जिला वार्षिक योजना, केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए अनुदान और विधायक विकास निधि को कटौती से छूट दी गई है।