
बेगम खालिदा जिया (सोर्स-सोशल मीडिया)
Buried Near Husband Ziaur Rahman: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और BNP प्रमुख बेगम खालिदा जिया को आज पूरे राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। ढाका के शेर-ए-बांग्ला नगर स्थित जिया उद्यान में उनके अंतिम संस्कार की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। अंतरिम सरकार ने घोषणा की है कि उन्हें उनके पति और देश के पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान की कब्र के बगल में ही दफनाया जाएगा। इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने के लिए भारत सहित कई पड़ोसी देशों के उच्चस्तरीय प्रतिनिधि और नेता ढाका पहुंच रहे हैं।
अंतरिम सरकार के विधि सलाहकार आसिफ नजरुल ने पुष्टि की है कि खालिदा जिया का अंतिम संस्कार पूर्ण सैन्य और राजकीय सम्मान के साथ होगा। बुधवार को जोहर की नमाज के बाद संसद के साउथ प्लाजा और मानिक मियां एवेन्यू में उनकी नमाज-ए-जनाजा अदा की जाएगी। सुरक्षा कारणों से पूरे इलाके को छावनी में बदल दिया गया है ताकि व्यवस्था बनी रहे।
भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस अंतिम संस्कार में शामिल होकर भारत सरकार और जनता की ओर से संवेदना प्रकट करेंगे। उनके अलावा पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और भूटान के विदेश मंत्री भी इस दुखद घड़ी में ढाका पहुंच रहे हैं। वैश्विक नेताओं की मौजूदगी यह दर्शाती है कि दक्षिण एशियाई राजनीति में खालिदा जिया का कद कितना बड़ा था।
मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए तीन दिनों के राजकीय शोक और बुधवार को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। इस दौरान देश की सभी सरकारी इमारतों और विदेशों में स्थित दूतावासों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। यूनुस ने जनता से शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने की भावुक अपील भी की है।
खालिदा जिया की आत्मा की शांति के लिए बुधवार को पूरे बांग्लादेश की मस्जिदों में विशेष मगफिरत की दुआएं मांगी जाएंगी। केवल मुस्लिम समुदाय ही नहीं बल्कि अन्य धर्मों के प्रार्थना स्थलों पर भी विशेष सभाएं आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। यह उनकी सर्वमान्य स्वीकार्यता और देश के प्रति उनके योगदान को सच्ची श्रद्धांजलि देने का एक प्रयास है।
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शेर-ए-बांग्ला नगर का जिया उद्यान अब बेगम खालिदा जिया का अंतिम विश्राम स्थल बनेगा जहां वे अपने पति जियाउर रहमान के पास रहेंगी। जियाउर रहमान BNP के संस्थापक थे और उनकी कब्र के पास दफनाया जाना BNP कार्यकर्ताओं के लिए अत्यंत भावुक विषय है। इसके साथ ही बांग्लादेशी राजनीति के एक सबसे प्रभावशाली और विवादित युग का औपचारिक समापन हो जाएगा।






