सीएम देवेंद्र फडणवीस (सौजन्य-एक्स)
Mumbai News: राज्य मंत्रिमंडल की आज एक महत्वपूर्ण बैठक मंगलवार को संपन्न हुई। बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई तथा राज्य के सामाजिक एवं आर्थिक विकास को गति देने वाले तीन बड़े निर्णय लिए गए। उद्योग विभाग, सामाजिक न्याय एवं विशेष सहायता विभाग एवं विधि एवं न्याय विभाग से संबंधित इन निर्णयों में उद्योग विभाग के ‘महाराष्ट्र बांबू (बांस) उद्योग नीति 2025’ के तहत राज्य में 50,000 करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी दी गई।
इस नीति के तहत राज्य में 15 समर्पित बांस क्लस्टर स्थापित किए जाएंगे और दूरदराज के इलाकों में बांस कारीगरों के लिए सूक्ष्म साझा सुविधा केंद्र (एमसीएफसी) स्थापित किए जाएंगे। इसी तरह किसानों को बांस की खेती और प्रसंस्करण उद्योग में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे 5 लाख रोजगार के अवसर पैदा होने की संभावना व्यक्त की गई है। साथ ही, कार्बन क्रेडिट बाजार के जरिए आय के नए रास्ते भी खुलेंगे, जो पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ आय का एक मजबूत स्रोत होगा।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई बैठक में बांस नीति के माध्यम से राज्य में बांस उत्पादन, उद्योग और रोजगार सृजन क्षेत्रों में नई जान फूंकने का संकल्प व्यक्त किया गया। इस निर्णय को राष्ट्रीय बांस मिशन और महाराष्ट्र मिशन 2023 के अनुरूप होने का दावा किया गया है। इससे अगले पांच वर्षों और उसके बाद के दस वर्षों में राज्य में 50 हजार करोड़ रुपए का निवेश आने तथा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 5 लाख से ज़्यादा रोजगार सृजित होने का विश्वास व्यक्त किया गया है। इस नीति में बांस किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), अनुबंध खेती के साथ-साथ ऊर्जा, उद्योग और घरेलू क्षेत्रों में बांस के उपयोग को बढ़ावा देने का प्रावधान है।
नीति के अनुसार, बांस प्रसंस्करण उद्योगों को ब्याज और बिजली सब्सिडी के साथ-साथ मुंद्राक और बिजली शुल्क में रियायत भी मिलेगी। नवाचार आधारित स्टार्टअप और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिए 300 करोड़ रुपए का उद्यम पूंजी कोष जुटाने का भी प्रावधान किया गया है। एशियाई विकास बैंक के सहयोग से राज्य में एक बांस विकास परियोजना लागू की जाएगी और केंद्र सरकार को 4,271 करोड़ रुपए की प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपी गई है।
परियोजना के तहत, किसान उत्पादक कंपनियों को गुणवत्तापूर्ण पौध उत्पादन, सब्सिडी और प्रशिक्षण में सहायता मिलेगी। नीति के अनुसार, ताप विद्युत परियोजनाओं में 5 से 7 प्रतिशत बांस बायोमास का उपयोग किया जाएगा, जबकि जीआईएस, एमआईएस, ब्लॉकचेन, ड्रोन और टिशू कल्चर लैब के माध्यम से बांस मूल्य श्रृंखला को गति देने के लिए नई तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। मनरेगा और सार्वजनिक वृक्षारोपण के माध्यम से खुली भूमि पर बांस की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा।
कैबिनेट बैठक में पीपुल्स एजुकेशन सोसाइटी के अंतर्गत विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों और छात्रावास भवनों के जीर्णोद्धार, संरक्षण और संवर्धन हेतु एक पृथक योजना के कार्यान्वयन को मंजूरी दी गई। इस सोसाइटी की स्थापना भारत रत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के सम्मान में की थी।
योजना के तहत, डॉ बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा स्थापित नौ शैक्षणिक संस्थानों और दो छात्रावासों का संरक्षण और संवर्धन किया जाएगा। भारतीय संविधान के निर्माता, भारत रत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने शिक्षा के प्रसार हेतु 8 जुलाई 1945 को पीपुल्स एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की थी। इसके लिए अगले पांच वर्षों के लिए 500 करोड़ रुपए, यानी प्रति वर्ष 100 करोड़ रुपए, के व्यय को मंजूरी दी गई है।
न्यायिक कार्यों में तेजी लाने के लिए जनशक्ति की आवश्यकता तथा न्यायिक कार्यों में सूचना प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अधिकतम उपयोग करके कार्य को गति प्रदान करने के लिए बैठक में मुंबई उच्च न्यायालय, नागपुर और औरंगाबाद पीठों के लिए 2,228 नए पदों के सृजन को मंजूरी दी गई।
तदनुसार, बॉम्बे उच्च न्यायालय की मुंबई शाखा और अपीलीय शाखा तथा औरंगाबाद एवं नागपुर पीठों के लिए ग्रुप-ए से ग्रुप-डी संवर्ग में अतिरिक्त पदों का सृजन किया जा रहा है। इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।
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स्वीकृत पदों में से 562 पद बॉम्बे उच्च न्यायालय की मुंबई शाखा से संबंधित हैं, 779 अपीलीय शाखा से, 591 औरंगाबाद पीठ से और 296 पद नागपुर पीठ के लिए सृजित किए जाएंगे।