उच्च न्यायालय (Image- Social Media)
Mumbai News: मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर मुंबई में जारी आंदोलन के खिलाफ दायर याचिका पर बंबई उच्च न्यायालय सोमवार को विशेष सुनवाई के लिए सहमत हो गया। गौरतलब है कि उच्च न्यायालय में गणेश उत्सव के कारण 27 अगस्त से अवकाश है और नियमित कार्यवाही मंगलवार से शुरू होनी है।
हालांकि, न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति गौतम अनखड़ की विशेष खंडपीठ ने सोमवार दोपहर एमी फाउंडेशन द्वारा दायर याचिका पर विशेष सुनवाई के लिए सहमति दी। याचिका में मुंबई के आज़ाद मैदान में चल रहे आंदोलन को लेकर आपत्ति जताई गई है।
सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे 29 अगस्त से दक्षिण मुंबई स्थित आज़ाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं। वह मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं। जरांगे के समर्थन में हजारों लोग मुंबई पहुंचे हैं, जिससे व्यापारिक क्षेत्र के प्रमुख चौराहों पर भीड़ की स्थिति बनी हुई है।
याचिकाकर्ता ने गत सप्ताह उच्च न्यायालय में यह याचिका दायर की थी। इससे पहले 26 अगस्त को उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की थी कि सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चितकालीन कब्जा नहीं किया जा सकता और धरना-प्रदर्शन केवल संबंधित प्राधिकरण की अनुमति से ही किया जा सकता है। अदालत ने यह भी सुझाव दिया था कि सरकार खारघर, नवी मुंबई में प्रदर्शन के लिए अनुमति देने पर विचार करे।
प्रशासन ने प्रारंभ में आज़ाद मैदान में एक दिन के लिए प्रदर्शन की अनुमति दी थी, जिसे बाद में एक और दिन के लिए बढ़ा दिया गया। जरांगे ने रविवार को कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वह मुंबई नहीं छोड़ेंगे। सोमवार को याचिकाकर्ता ने अदालत में आवेदन दाखिल कर मामले की शीघ्र सुनवाई की मांग की और जारी आंदोलन के कारण लोगों को हो रही असुविधा का हवाला दिया।
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इससे पहले शरद पवार ने हाल ही में मराठा आरक्षण पर टिप्पणी करते हुए कहा कि तमिलनाडु में आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 72% कर दी गई है और यह मॉडल महाराष्ट्र में भी अपनाया जा सकता है। इस बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने मनोज जरांगे के आंदोलन के लिए उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंद को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की।(एजेंसी इनपुट के साथ)