लाडकी बहिन योजना और आनंदाचा शिदा योजना (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Ladki Bahin Yojana: महाराष्ट्र सरकार की मुख्यमंत्री माझी लाडली बहन योजना पर हजारों करोड़ों रुपये के खर्च के चलते अन्य योजनाओं पर वित्तीय दबाव बढ़ गया है। इसी के चलते इस साल गरीब परिवारों को त्योहारों के मौके पर ‘आनंदाचा शिधा’ किट नहीं दिया जाएगा। वहीं दूसरी ओर सस्ती दरों पर भोजन उपलब्ध कराने वाली ‘शिवभोजन थाली’ योजना के बजट में भी भारी कटौती की गई है।
इस योजना के लिए 60 करोड़ रुपये के बजट की जरुरत होती है, लेकिन सरकार ने खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के लिए केवल 20 करोड़ रुपये ही स्वीकृत किए हैं। यानी जरूरतमंदों तक ‘शिवभोजन थाली’ की पहुंच भी कम हो जाएगी।
यह ‘आनंदाचा शिधा’ योजना 2022 में दिवाली के मौके पर शुरू की गई थी, जब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में गरीबों को त्योहारों में राहत देने के लिए एक विशेष राशन किट सिर्फ 100 रुपये में वितरित की गई थी। इस किट में 1 किलो चना दाल, 1 किलो चीनी और 1 लीटर खाद्य तेल शामिल होता था।
2023 में गुड़ी पाड़वा, गणेशोत्सव, अंबेडकर जयंती, दिवाली और 2024 में राम मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा व छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के अवसर पर इस योजना का लाभ लाखों परिवारों को दिया गया था। लेकिन इस वर्ष राज्य सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ने के चलते इस योजना पर ब्रेक लगने की संभावना है।
महायुति (एनडीए) सरकार ने इस वित्त वर्ष मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना के लिए 36,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। उपमुख्यमंत्री तथा वित्तमंत्री अजित पवार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट पेश करते हुए कहा था कि लाडकी बहिन योजना के तहत 2024-25 के दौरान लगभग 2.53 करोड़ महिला लाभार्थियों को 33,232 करोड़ रुपये वितरित किए गए।
वहीं, 2025-26 के लिए 36,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार लाडली बहन पर भारी खर्च के चलते अन्य जनकल्याण योजनाएं प्रभावित हो रहीं है। इस वजह से न केवल ‘आनंदाचा शिधा’ और ‘शिवभोजन थाली’, बल्कि अन्य योजनाओं के बजट पर भी असर पड़ रहा है।
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इससे पहले जानकारी सामने आई थी कि लाडली बहिन योजना के लिए राज्य सरकार केंद्र सरकार से 1.36 लाख करोड़ रुपए का कर्ज भी उधार ले चुकी है। इसके कारण राज्य सरकार ने अब 10 में से चार योजनाओं, मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन, मुख्यमंत्री वयोश्री, एक रुपए में फसल बीमा और ‘मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना को अब स्थगित कर चुकी है। वित्त विभाग ने रिपोर्टों में दावा किया था कि चार योजनाओं पर ब्रेक लगाने से हर महीने सरकार के तीन से साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए बचेंगे।