
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सदानंद दाते (सौजन्य-सोशल मीडिया)
IPS Officer Sadanand Date: पुणे में अखबार बांटकर पढ़ाई करने वाले वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सदानंद दाते, महाराष्ट्र पुलिस के अगले पुलिस प्रमुख (पुलिस महानिदेशक) बनने वाले हैं। वर्तमान में पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रही हैं। 1990 बैच के अधिकारी दाते अभी एनआईए के महानिदेशक पद पर कार्यरत हैं।
31 दिसंबर 2023 को रजनीश सेठ के रिटायर होने के बाद सरकार ने 3 जनवरी 2024 को रश्मि शुक्ला को पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया था। वे 30 जून 2024 को सेवानिवृत्त होने वाली थीं लेकिन राज्य सरकार ने उनका कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दिया था। ऐसे में सरकार अगले दो सालों के लिए पूर्णकालिक डीजीपी की नियुक्ति की तैयारी कर रही है।
महाराष्ट्र सरकार ने एनआईए के महानिदेशक सदानंद दाते को महाराष्ट्र का नया डीजीपी बनाने की तैयारी तेज कर दी है। डीजीपी पद पर आईपीएस दाते को नियुक्त करने के लिए केंद्र सरकार को औपचारिक प्रस्ताव भेज दिया गया है। हालांकि, नियमों के अनुसार यूपीएससी को तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों का पैनल तैयार करना है जिसमें से राज्य सरकार एक आईपीएस का नाम डीजीपी के रूप में चुनती है।
फिलहाल यह पैनल घोषित नहीं हुआ है। जब वे कक्षा 8वीं में थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था। घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। उनकी मां ने अत्यंत गरीबी और मुश्किल हालात में उन्हें पढ़ाया-लिखाया। स्कूल जाने से पहले वे लोगों के घरों में अखबार बांटते थे। पुणे पुलिस लाइन में भी अखबार डालने जाते थे, और यहीं से उनके मन में पुलिस अधिकारी बनने की इच्छा जगी।
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पढ़ाई का खर्च चलाने के लिए उन्होंने लाइब्रेरी की देखभाल का काम भी किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की और आईपीएस बन गए। आईपीएस सदानंद दाते ने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की डिग्री प्राप्त की है।
नौकरी के दौरान आईपीएस दाते ने 2005-06 में हमठी फेलोशिप प्राप्त की और आर्थिक अपराध तथा संगठित अपराध और इसकी प्रकृति जैसे विषयों का अध्ययन किया, वे महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी है और महाराष्ट्र पुलिस में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके है।
आईपीएस दाते को 2005 तथा 2009 में पुलिस पदक से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने 26/11 मुंबई हमले में आतंकियों से लोहा लिया था और आफ्नी बहादुरी और सूझबूझ से कई लोगों की जान बचाई थी। इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था।
नवभारत लाइव के लिए तारिक खान की रिपोर्ट






