
ताज होटल (फोटो- सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्कः 26 नवंबर 2008 का दिन भारत के इतिहास में एक ऐसा काला अध्याय है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस दिन मुंबई पर हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। 10 आतंकियों ने मुंबई के अलग-अलग हिस्सों में बर्बरता और आतंक का ऐसा तांडव मचाया, जिसकी गूंज आज भी लोगों के दिलों में सुनाई देती है।
मुंबई आतंकी हमले को 16 साल हो गए हैं। 26 नवंबर 2008 को समुद्री रास्ते आतंकियों ने मुबंई में एंट्री की थी। इस हमले के बाद तटीय सुरक्षा को लेकर उस समय कई कदम उठाए गए थे, लेकिन मौजूदा समय में तटीय सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। न्यूज रिपोर्ट के अनुसार समुद्र में निगरानी के लिए लाई गई 23 स्पीड बोट में से 14 बंद पड़ी हैं। इन स्पीड बोट को मरम्मत और रखरखाव की जरूरत है, लेकिन इसके लिए जिम्मेदार ठेकेदार के 10 करोड़ रुपए बकाया हैं। जिसके कारण सिर्फ नौ बोट से निगरानी का कार्य चल रहा है।
हमले की पृष्ठभूमि और घटनाक्रम
पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने इस हमले की साजिश रची थी। 26 नवंबर 2008 की शाम को आतंकियों ने समुद्र के रास्ते माया नगरी में प्रवेश किया। उन्होंने एक सुनियोजित तरीके से छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल (सीएसएमटी), ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, नरीमन हाउस (यहूदी केंद्र) और लियोपोल्ड कैफे सहित कई स्थानों पर हमला किया। पूरे देश गम और गुस्से से भरी आंखों से मुबंई की तरफ देख रहा था। 72 घंटे तक चले इस आतंकवादी हमले में 166 निर्दोष लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए थे।
प्रमुख घटनाएं और स्थान
छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) स्टेशन पर अंधाधुंध गोलीबारी करते हुए आतंकियों ने कई निर्दोष लोगों को मार डाला था। मुंबई के इस स्टेशन पर हमेशा भीड़ रहती है, हमले के बाद स्टेशन पर अफरा-तफरी मच गई थी। गोली से जो मौतें हुईं वो अलग बड़ी संख्या में लोग भगदड़ के कारण मर गए थे।
ताज महल होटल, मुंबई का यह ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित होटल आतंकी हमले का मुख्य केंद्र बना। इस होटल में देश के बड़े-बड़े उद्योगपति और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग आते रहते हैं, यहां बंधक बनाए गए लोगों को छुड़ाने के लिए एनएसजी कमांडो और सुरक्षा बलों को तीन दिन तक अभियान चलाना पड़ा।
नरीमन हाउस (चबाड हाउस), यह यहूदी केंद्र भी आतंकियों के निशाने पर था। यहां एक परिवार को बंधक बनाया गया, लेकिन एनएसजी की कार्रवाई के दौरान आतंकियों को मार गिराया गया। लियोपोल्ड कैफे और ओबेरॉय होटल इन जगहों पर गोलीबारी और बम धमाके हुए, जिसमें कई विदेशी नागरिक भी मारे गए।
NSG और मार्कोस कमाडों ने दिया अदम्य साहस परिचय
इस हमले में मुंबई पुलिस, एनएसजी (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड), और मरीन कमांडो (मार्कोस) ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया था। शहीद हेमंत करकरे, शहीद विजय सालस्कर, और शहीद तुकाराम ओंबले जैसे पुलिसकर्मी इस हमले के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए। तुकाराम ओंबले ने अजमल कसाब को पकड़ने में अहम भूमिका निभाई, जो इस हमले का एकमात्र जीवित आतंकी पकड़ा गया।
हमले के बाद भारत
26/11 के हमले ने भारत की सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर किया। इसके बाद देश में आतंकवाद से लड़ने के लिए कई बड़े कदम उठाए गए, जिनमें एनआईए (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) का गठन और तटीय सुरक्षा को मजबूत बनाना शामिल है। अजमल कसाब को भारतीय न्याय प्रणाली के तहत फांसी दी गई, लेकिन इस हमले ने यह भी दिखाया कि आतंकवाद से लड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग कितना जरूरी है।
यादें और सबक
26/11 न केवल एक दर्दनाक त्रासदी है, बल्कि यह हमारे सुरक्षाबलों की वीरता और बलिदान का प्रतीक भी है। इस घटना ने हमें सतर्क रहने और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की सीख दी। हर साल इस दिन पर उन सभी निर्दोष लोगों और सुरक्षाकर्मियों को याद किया जाता है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी। यह हमला हमें याद दिलाता है कि आतंकवाद केवल एक देश की समस्या नहीं, बल्कि यह एक वैश्विक चुनौती है। इस दिन को याद करते हुए हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हम ऐसे काले अध्याय को दोहराने से रोकने के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे।






