कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
HDFC Bank Employee Apologizes: मुंबई स्थिति एचडीएफसी बैंक कर्मी अनुराधा वर्मा का एक आर्मी जवान से बातचीत का एक ऑडियो सामने आया था। जिसमें वह जवान का अपमान करती हुई सुनाई देती हैं। जवान के अपमान का संज्ञान लेते हुए नवभारत ने इस पर ख़बर चलाई थी। खबर के वायरल होने के बाद इसका असर हुआ है। बैंक के महिला कर्मचारी ने अब अपने कृत्य के लिए माफी मांगी है।
खबर प्रसारित होने के बाद नवभारत के सोशल मीडिया हैंडल्स पर भी इसे पोस्ट किया गया। जिसके बाद यह वायरल हो गई साथ ही चर्चा का विषय बन गई। लोगों ने इस संवेदनशील मुद्दे और नवभारत की तत्परता को सराहते हुए ऑडियो और खबर को फैलाना शुरू कर दिया।
माफी वाले ऑडियो में अनुराधा वर्मा कहती है “हैलो सर मैं अनुराधा, मुझे भी नहीं पता कि ये सब कैसे हुआ? क्या फ्रस्टेशन था, क्या गुस्सा था या काम का प्रेशर था। मेरे से जाने अंजाने में गलती हुई है, पर मेरा ऐसा कोई भी इंटेशन नहीं था।
HDFC बैंक की महिला कर्मी ने जवान से मांगी माफी
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अनुराधा आगे कहती है कि मेरा इरादा देश के फौजी का दिल दुखाने का नहीं था। मैं अब अपने शब्द वापस तो नहीं ले सकती लेकिन मैं इसके लिए माफी मांगती हूं। मैं हाथ जोड़कर विनती करती हूं कि हो सके तो मुझे माफ कर दें, क्योंकि गलती इंसान से ही होती है।”
वायरल ऑडियों में बैंककर्मी अनुराधा वर्मा लोन रिकवरी के सिलसिले में सेना के एक जवान को कॉल करती है। इस दौरान जब जवान ने ज्यादा ब्याज को लेकर सवाल किया तो वह उस पर भड़क जाती है। जिसके बाद वह उसे गंदी-गंदी गालियां देती है और यहां तक कि सेना और शहीदों के बारे में भी आपत्तिजनक बातें कहती है।
ऑडियो में महिला कहती सुनाई देती है, “तुम्हें मैसेज का रिप्लाई तो देना चाहिए था न। मजबूरी है मैडम, अभी नहीं दे सकता। जवाब नहीं दे रहे।” इस पर वह पूछता है, “मैंने कई बार पूछा कि मेरा 15 लाख 85 हजार लोन सैंक्शन किया आपने, 16 लाख के हिसाब से ब्याज कैसे लिया जा रहा है?”
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इस पर अनुराधा वर्मा झुंझला जाती है और गुस्से में कहती है, “बताया तो है, 75 बार तुम्हे। अब तुम गंवार हो तो क्या कर सकते हैं। पढ़े-लिखे होते तो किसी अच्छी कंपनी में नौकरी कर रहे होते। गंवार हो, तभी बॉर्डर पर भेज दिए गए हो। उसने आगे कहा कि किसी के हक का खाओगे तो हजम नहीं होगा।”
अनुराधा ने आगे कहा कि “तुम्हारे जैसे लोग ही होते हैं, जिनके बच्चे विकलांग पैदा होते हैं। तुम्हारे जैसे ही होते हैं जो बॉर्डर पर शहीद हो जाते हैं। रखो अभी फोन। आओ पंद्रह दिन में, मैं देखती हूं तुम कहां के तुर्रम खान हो। कौन सी चीज हो। मैं भी डिफेंस फैमिली से बिलॉन्ग करती हूं।”