मुंबई में जीबीएस का पहला मामला (सौजन्य-सोशल मीडिया, कंसेप्ट फोटो)
मुंबई: पुणे से शुरू हुआ गुलियन-बैरे सिंड्रोम सोलापुर, नागपुर, नंदुरबार होते हुए मुंबई पहुंच गया। नगर निगम के अधिकारियों ने जानकारी दी और बताया कि मुंबई में शुक्रवार को ‘गुइलेन-बैरे सिंड्रोम’ (जीबीएस) का पहला मामला सामने आया और 64 वर्षीय एक महिला इस दुर्लभ तंत्रिका विकार से संक्रमित पाई गई।
पुणे में जीबीएस के 150 से भी ज्यादा मामले सामने आ चुके है। गुलियन-बैरे सिंड्रोम यानी जीबीएस एक दुर्लभ विकार है, जिसमें व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली परिधीय तंत्रिका पर हमला करती है, जिससे शरीर के अंग अचानक सुन्न हो जाते हैं। मांसपेशियों में कमजोरी आती है और निगलने या सांस लेने में भी कठिनाई होती है।
बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के आयुक्त और बीएमसी के लिए राज्य द्वारा नियुक्त प्रशासक भूषण गगरानी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए 64 वर्षीय महिला में इस बीमारी की पुष्टि की और कहा कि जीबीएस रोग से पीड़ित इस मरीज का वर्तमान में नगर निगम द्वारा संचालित अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में इलाज चल रहा है।
बीएमसी अधिकारियों ने कहा कि शहर के अंधेरी पूर्व क्षेत्र की निवासी महिला को बुखार और दस्त के बाद लकवा की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था वयस्कों और पुरुषों में इस विकार से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है, हालांकि सभी उम्र के लोग इससे प्रभावित हो सकते हैं। महाराष्ट्र के पुणे जिले में अब तक जीबीएस से छह संदिग्ध मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि यहां 173 संदिग्ध मामले पाए गए हैं।
पुणे के बाद, महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में भी दुर्लभ बीमारी गुलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के मामले बढ़ गए हैं। पुणे, सोलापुर, नागपुर और सातारा में मरीज पाए जाने के बाद, यह बीमारी अब खानदेश में फैल गई है। नंदुरबार में 2 नाबालिग बच्चों में जीबीएस का पता चला है, जिससे व्यापक चिंता पैदा हो गई है।
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नंदुरबार में जीबीएस के मरीज पाए जाने से स्वास्थ्य विभाग और अधिक सतर्क हो गया है। इस बीमारी के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए नंदुरबार में 20 आईसीयू बेड तैयार किए गए हैं। जिला प्रशासन ने जीबीएस के संभावित प्रसार को रोकने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। (एजेंसी इनपुट के साथ)