संजय राउत (सौजन्य-एएनआई)
मुंबई: महाराष्ट्र में महायुति सरकार के मंत्री गिरीश महाजन के एक बयान से बवाल मच गया है। मंत्री गिरीश महाजन के बयान ने राज्य की राजनीति में खलबली मचा दी है। गिरीश महाजन ने बाल ठाकरे की शिवसेना को जमींदोज करने की बात कही। इस बयान के बाद शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत महाजन पर भड़क गए और अपने मुखपत्र सामना में जमकर भड़ास निकाली।
संजय राउत ने सामना के संपादकीय में लिका कि भाजपा के एक मंत्री गिरीश महाजन ने एक अहंकार से भरा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि हिंदू हृदय सम्राट शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को जमींदोज किया जाए। जब सत्ता आने पर कोई व्यक्ति मदांध हो जाता है तो उसका क्या होता है, यह इसका उदाहरण है।
संजय राउत ने सामना में लिखा कि पिछले 50 सालों में महाजन जैसे कई लोगों शिवसेना को नष्ट करने की गुस्ताखी की है। शिवसेना सांसदों, विधायकों और नगरसेवकों की तहर बिकने वालों में से नहीं है। शिवसेना विचारों के साथ आगे बढ़ने वाली संगठन है। चुनाव तो आते-जाते रहते हैं। विधायक भी बह जाते है लेकिन शिवसेना है और हमेशा रहेगी।
गिरीश महाजन के बयान पर संजय राउत ने जमकर हमला बोला है। संजय राउत ने सामना में लिखा गिरीश को ‘नाच्या’ कहा जाता है और यही सच भी है। देवेंद्र फडणवीस के आगे-पीछे ठुमके लगाने के सिवाय गिरीश महाजन के पास कोई उपलब्धि नहीं है। उन्होंने कहा कि जामनेर निर्वाचन क्षेत्र का पूरा इलाका जहां से यह सज्जन चुने गए हैं, आज भी बंजर और श्मशान समान पड़ा है। वहां लोगों को न्यूनतम नागरिक सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं।
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सामना में संजय राउत ने आरोप लगाया गया है कि गिरीश महाजन 2025 के विधानसभा चुनाव में बहुत मुश्किल से बहुमत से चुने गए थे। मतदाता सूची में हेराफेरी और पैसे के भारी वितरण के कारण उन्होंने बमुश्किल जीत हासिल की। वोट खरीदना, दूसरे लोगों के चुने हुए लोगों को खरीदना उनका धंधा है और उनके अन्य धंधे और शौक क्या हैं, इस पर माननीय एकनाथ खडसे ने बार-बार प्रकाश डाला है। महाजन ने वित्तीय घोटाले, बैंक और जमीन हड़पने, पतपेढ़ियों में धोखाधड़ी, टेंडर हेराफेरी और दलाली से हजारों करोड़ की संपत्ति जमा की है।
संसद के विशेष सत्र की इंडिया ब्लॉक की मांग पर शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, “हम केवल पहलगाम आतंकी हमले पर चर्चा करना चाहते हैं, सरकार की कार्रवाई पर नहीं। अगर 16 विपक्षी दल इस पर विशेष सत्र की मांग करते हैं तो चर्चा होनी चाहिए। कुछ दिनों में हम राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी पत्र भेजेंगे। लोकतंत्र में सरकार को जनता को विश्वास में लेना चाहिए और उन्हें बताना चाहिए कि वह क्या कर रही है। लेकिन सबसे बड़े लोकतंत्र में जनता से सब कुछ छिपाया जाता है।”