सोयाबीन का एमएसपी 6,000 रुपये कब होगा (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Mumbai News: कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से यह बताने को कहा कि सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 6,000 रुपये प्रति क्विंटल तक क्यों नहीं पहुंचा है। कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर किसानों को इंसान नहीं समझने का आरोप लगाया। पार्टी की प्रदेश इकाई के प्रवक्ता सचिन सावंत ने दावा किया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस 2013 में जब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष थे तब सोयाबीन के लिए 6,000 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी की मांग को लेकर किसानों के मार्च का नेतृत्व किया था।
उन्होंने कहा कि केंद्र ने इस वर्ष मुख्य फसल के लिए 5,328 रुपये प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य घोषित किया है। सावंत ने एक बयान में कहा, ‘‘उस मार्च को 12 साल हो गए हैं और मोदी सरकार को सत्ता में आए 11 साल हो गए हैं।
फडणवीस साहब को जवाब देना चाहिए कि 6,000 रुपये की कीमत वास्तव में कब हासिल होगी।”उन्होंने दावा किया कि भाजपा 2047 तक महाराष्ट्र को विकसित राज्य बनाने की बात करती है, ‘‘लेकिन वास्तविकता यह है कि उसके शासन में किसानों को पाषाण युग में धकेला जा रहा है।” सांवत ने कहा कि वर्तमान में किसान खुले बाजार में सोयाबीन लगभग 3,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बेच रहे हैं, जिससे उन्हें 1,800 रुपये से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल का सीधा नुकसान हो रहा है।
ये भी पढ़े: राहुरी तालुका में गन्ने के खेत में लगी आग, 53 एकड़ गन्ने की फसल नष्ट
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘एमएसपी खरीद केंद्रों ने अभी तक काम करना शुरू नहीं किया है। उनके संचालन में जानबूझकर देरी की जा रही है।” सावंत ने यह भी दावा किया, ‘‘एमएसपी पर खरीद के लिए केंद्र स्थापित करने का एकमात्र अधिकार पहले महाराष्ट्र राज्य सहकारी विपणन महासंघ के पास था, लेकिन इस बार एक अन्य एजेंसी को शामिल कर लिया गया है जिससे खरीद में और देरी होगी।”
उन्होंने कहा कि अत्यधिक बारिश ने मूंग और उड़द की फसलें बर्बाद कर दी हैं और सोयाबीन के उत्पादन में गिरावट आई है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘दिवाली से पहले राहत देने के खोखले वादों के बावजूद, किसानों ने दिवाली अंधेरे में मनाई।”
(एजेंसी इनपुट के साथ)