ED की एक साथ 13 जगहों पर छापेमारी। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए वसई-विरार महानगर क्षेत्र के नालासोपारा पूर्व के अग्रवाल नगर इलाके में 41 अनधिकृत इमारतों के खिलाफ एक साथ 13 जगहों पर छापेमारी की है। ईडी ने 60 एकड़ सरकारी और निजी जमीन पर अवैध रूप से इमारतों के निर्माण और उनसे जुड़े वित्तीय लेन-देन, मनी लॉन्ड्रिंग के संदेह में यह कार्रवाई की है।
इस मामले में बहुजन विकास अघाड़ी पार्टी के पूर्व नगरसेवक सीताराम गुप्ता के खिलाफ सीधी कार्रवाई की गई है और उनके साथ ही नामी बिल्डर अनिल गुप्ता के खिलाफ भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया है। ईडी की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि यह जमीन वसई-विरार नगर निगम की है और मूल रूप से यह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और डंपिंग ग्राउंड के लिए आरक्षित थी।
लेकिन संबंधित राजनीतिक और निर्माण क्षेत्र के लोगों ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलीभगत करके इस जमीन पर अवैध रूप से प्लॉटिंग की और इस पर बड़े पैमाने पर आवासीय और व्यावसायिक इमारतें खड़ी कर दीं। ईडी के अनुसार, इन इमारतों के पास कोई कानूनी लाइसेंस, आधिकारिक योजना या सरकारी मंजूरी नहीं थी। फिर भी, हजारों वर्ग फीट में फैली इन इमारतों को नागरिकों को बेच दिया गया और करोड़ों रुपये का वित्तीय कारोबार हुआ।
इस पूरी प्रक्रिया में पूर्व पार्षद सीताराम गुप्ता की भूमिका बेहद संदिग्ध रही है। ईडी का आरोप है कि उन्होंने स्थानीय अधिकारियों पर दबाव बनाने और परियोजनाओं के लिए प्रशासनिक मंजूरी पाने के लिए अपने राजनीतिक पद का दुरुपयोग किया। ईडी की कार्रवाई के बाद अब शक की सुई वसई-विरार महानगरपालिका प्रशासन पर घूम गई है। सवाल यह उठ रहा है कि जब इतने बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हो रहा था, तो संबंधित अधिकारियों ने इसे क्यों नजरअंदाज किया।
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, इस लेन-देन में कुछ अधिकारी सीधे तौर पर शामिल थे और संकेत हैं कि उन्होंने इन अवैध गतिविधियों पर आंखें मूंद लीं और मौन सहमति दी। जिन 13 जगहों पर ईडी ने छापेमारी की, उनमें सीताराम गुप्ता का निवास, अनिल गुप्ता का कार्यालय और कई निर्माण परियोजनाएं शामिल हैं। वित्तीय लेनदेन के दस्तावेज, बैंक खाते का विवरण, पंजीकरण दस्तावेज और मोबाइल फोन जब्त किए गए हैं। यह संभावना जताई जा रही है कि इन सभी माध्यमों से वित्तीय अपराध के स्पष्ट सबूत मिल सकते हैं।