मुंबई दहेज उत्पीड़न मामलों में बढ़ोतरी (pic credit; social media)
Dowry Harassment in Mumbai: मुंबई में विवाहित महिलाओं के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामले पिछले एक साल में चिंताजनक स्तर तक पहुंच गए हैं। शहर के पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले 12 महीनों में 17 महिलाओं ने उत्पीड़न और मानसिक तनाव से तंग आकर आत्महत्या कर ली, जबकि दहेज उत्पीड़न के मामलों में एक साल में 70 मामलों की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
जुलाई 2025 के अंत तक शहर में 305 दहेज उत्पीड़न मामले दर्ज किए गए, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह संख्या 235 थी। इन मामलों में महिलाओं के साथ शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न शामिल है। पुलिस के अनुसार, 5 महिलाओं ने सीधे दहेज उत्पीड़न के कारण आत्महत्या की, जबकि 4 महिलाओं की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई। 12 महिलाओं ने अन्य घरेलू हिंसा के कारण अपनी जान दी और 8 महिलाओं की हत्या भी हुई।
मुंबई पुलिस का कहना है कि 305 दहेज उत्पीड़न मामलों में से 271 मामले सुलझाए गए, वहीं अन्य 303 घरेलू हिंसा मामलों में से 268 मामलों में कार्रवाई हुई है। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि शहर में विवाहित महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता है और प्रभावी हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सामाजिक और कानूनी जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ पुलिस और प्रशासन को महिलाओं के खिलाफ होने वाले उत्पीड़न की घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई करनी होगी। इसके बिना, मुंबई जैसी महानगर में महिलाओं की सुरक्षा खतरे में बनी रहेगी।
सामाजिक कार्यकर्ता भी इस बढ़ती समस्या पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। उनका कहना है कि सिर्फ मामलों का दर्ज होना पर्याप्त नहीं है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए समग्र रणनीति बनाना जरूरी है।
मुंबई में यह आंकड़े न केवल गंभीर हैं बल्कि यह समाज में गहराई से जड़ें जमा चुकी दहेज प्रथा और घरेलू हिंसा से निपटने की जरूरत को भी रेखांकित करते हैं। शहर प्रशासन और पुलिस पर जिम्मेदारी है कि वे महिलाओं के लिए सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करें और ऐसे मामलों में कड़े कदम उठाएं।