लासलगांव में सड़ी प्याज का सरकारी खेल (pic credit; social media)
Rotten Onions in Lasalgaon: देश के सबसे बड़े प्याज बाजार लासलगांव में रविवार दोपहर अचानक हड़कंप मच गया जब दिंडोरी लोकसभा क्षेत्र के सांसद भास्कर भगरे ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया। रेलवे स्टेशन पर प्याज की लोडिंग का काम चल रहा था। लेकिन सांसद ने जो देखा, उसने सरकारी खरीद की सच्चाई पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया।
निरीक्षण के दौरान सांसद भगरे ने पाया कि जिन बोरियों में प्याज लोड हो रहा था, वह निकृष्ट गुणवत्ता की थीं। यानी प्याज सड़ा हुआ और खाने लायक नहीं था। यह देखकर सांसद ने तत्काल नाराज़गी जताई और सवाल उठाया कि “क्या यही प्याज जनता तक सस्ते दरों में पहुंचाया जा रहा है?”
बोरियों पर लगे नाफेड और एनसीसीएफ जैसे सरकारी संस्थानों के चिह्न देखकर यह शक और गहरा गया कि यह स्टॉक मूल्य स्थिरीकरण निधि (PSF) के तहत खरीदा गया था। इस योजना के तहत सरकार किसानों से प्याज खरीदकर उपभोक्ताओं को सस्ती दरों में उपलब्ध कराती है। लेकिन अगर खराब प्याज की ही सप्लाई की जा रही है, तो यह किसानों और ग्राहकों दोनों के साथ ‘दोहरा धोखा’ है।
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सांसद भगरे ने कहा कि “किसान अपनी अच्छी उपज का दाम पाने के लिए तरसते हैं और सरकार उनके नाम पर सड़ा प्याज भेज रही है। यह अस्वीकार्य है।” उन्होंने तुरंत रेलवे प्रशासन और संबंधित सरकारी संस्थाओं से जांच की मांग की।
मिली जानकारी के मुताबिक रविवार को लासलगांव से 25 डिब्बों में करीब 1000 मीट्रिक टन प्याज झारखंड (रांची) के लिए रवाना किया गया। अब तक नाशिक जिले से लगभग 45 रेक (45 हजार मीट्रिक टन) प्याज नाफेड और एनसीसीएफ के जरिए देश के विभिन्न हिस्सों में भेजा जा चुका है।
सवाल यह है कि क्या इन रेक्स में भी निकृष्ट प्याज भरा गया था? अगर हां, तो यह सिर्फ सरकारी धन का दुरुपयोग नहीं बल्कि किसानों की मेहनत और उपभोक्ताओं के भरोसे का अपमान है।
लासलगांव देश का प्याज धड़कन माना जाता है। यहां से जो भी खबर निकलती है, वह बाजार और राजनीति दोनों को झकझोर देती है। और इस बार, यह ‘सड़ा प्याज कांड’ न सिर्फ प्रशासन बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर रहा है।