राज ठाकरे-देवेंद्र फडणवीस-उद्धव ठाकरे (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र में हिंदी की अनिवार्यता को लेकर पिछले पंद्रह दिनों से लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। नई शैक्षिक नीति के अनुसार, पहली से पांचवी कक्षा तक हिंदी या किसी अन्य भाषा को सीखने का विकल्प दिया गया है। इस नीति का शिवसेना (उद्धव गुट) और मनसे ने कड़ा विरोध किया है। इस बीच, साहित्य सम्मेलन की अध्यक्ष तारा भवालकर ने भी सरकार से अनुरोध किया है कि पहली से चौथी कक्षा तक सिर्फ मातृभाषा में शिक्षा दी जाए।
इस पूरे मुद्दे पर उद्धव ठाकरे ने अपनी प्रतिक्रिया भी दी है। वहीं, देवेंद्र फडणवीस ने अपनी खास शैली में उद्धव को कहा कि मराठी भाषा में तंज करने के बजाय, बेहतर अलंकारों का उपयोग करें। अगर वह उनका इस्तेमाल करेंगे तो ज्यादा अच्छा होगा। इसके अलावा मुझे कुछ और नहीं कहना, क्योंकि हिंदी की अनिवार्यता नहीं है, बल्कि मराठी की अनिवार्यता है। हिंदी ‘ऑप्शनल’ है।
उद्धव ठाकरे ने कहा था कि हम किसी भी भाषा का विरोध नहीं करते। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम हिंदी की अनिवार्यता को सहन करेंगे। शिवसेना का गठन मराठी माणूस के लिए ही हुआ था। जो आंदोलन मराठी प्रेमियों का होने वाला है, उसे शिवसेना का समर्थन है। शिवसेना का उद्देश्य इन लोगों को समाप्त करना और तानाशाही लाना है, यही इनकी मंशा है।
सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “मैं उद्धव ठाकरे से बस इतना कहना चाहता हूं कि मराठी में व्यंग्य के अलावा भी कई समृद्ध अलंकार हैं। उनका इस्तेमाल करना कहीं ज़्यादा प्रभावी होगा। मुझे और कुछ नहीं कहना है- क्योंकि हिंदी बोलने की कोई बाध्यता नहीं है, लेकिन मराठी बोलना अनिवार्य है। हिंदी वैकल्पिक है।”
Mumbai, Maharashtra: CM Devendra Fadnavis says, “All I want to say to Uddhav Thackeray is that Marathi has far richer figures of speech than just sarcasm. Using those would be far more effective. I have nothing more to add—because there’s no compulsion to speak Hindi, but there… pic.twitter.com/I5OdPpG4fI — IANS (@ians_india) June 26, 2025
हिंदी पर राज का अंतिम फैसला, शिक्षा मंत्री से मुलाकात के बाद किया बड़ा ऐलान
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि अगर राहुल को देश के संविधान और लोकतंत्र पर विश्वास है, तो अब उन्हें महाराष्ट्र चुनाव के परिणामों पर बोलने से बचना चाहिए। न्यायालय ने इस चुनाव पर विस्तृत निर्णय दिया है। जो लोग इन परिणामों पर सवाल उठा रहे थे, उनके मुंह को तर्क और न्याय के साथ बंद कर दिया गया है। फिर भी कुछ लोग झपकी लेने का नाटक करेंगे, लेकिन जनता सब जानती है।