डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे व बॉम्बे हाई कोर्ट (सोर्स: सोशल मीडिया)
Eknath Shinde News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पर शिकंजा कसते हुए उनके उस फैसले पर सवाल उठाए हैं, जिसमें उन्होंने दो अवैध इमारतों के गिराने की नवी मुंबई मनपा की नोटिस पर रोक लगाई थी। अदालत ने इस मामले में हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है।
नवी मुंबई के वाशी के सेक्टर 9 में अवैध रूप से बनाई गई दो इमारतों नैवेद्य हाऊसिंग सोसायटी और अलबेला हाउसिंग सोसायटी के मामले को लेकर शनिवार को न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति अश्विन भोबे की खंडपीठ में सुनवाई हुई। इस मामले में एक गैर-सरकारी संगठन, कॉन्शियस सिटीजन फोरम ने डीसीएम शिंदे के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है।
पीठ ने राज्य के महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ के मुद्दे को संज्ञान लिया है। साथ ही रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय को यह सत्यापित करने का आदेश दिया कि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका जनहित में है या रिट की प्रकृति की है। इस पर दो दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। पीठ ने एकनाथ शिंदे की संलिप्तता के आरोपों पर अपना रुख स्पष्ट करने के भी निर्देश दिए हैं।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य के नगर विकास विभाग का कार्यभार संभालने वाले उपमुख्यमंत्री ने इस साल की शुरुआत में दो अवैध इमारतों को गिराने पर रोक लगा दी थी। नवी मुंबई मनपा ने 14 मंजिला नैवेद्य हाऊसिंग सोसायटी व सात मंजिला अलेबला इमारत को अवैध करार देते हुए गिराने के आदेश दिए थे। लेकिन शिंदे ने अपने सुपर पॉवर का इस्तेमाल करते हुए इसे रोक दिया था।
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कोर्ट ने पूछा कि आखिर किस अधिकार के तहत शिंदे ने इस कार्रवाई को रोकने के आदेश दिए। अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई में हस्तक्षेप करने के लिए कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है।
यह मामला नवी मुंबई मनपा की ओर से अक्टूबर 2021 में लिखे गए एक पत्र से उजागर हुआ था। अलबेला कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी और नैवेद्य को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी के निवासियों को सूचित किया गया था कि वे बिना अधिभोग प्रमाण पत्र (ओसी) के इमारत में रह रहे हैं।
साल 1985 में सिटी एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ महाराष्ट्र लिमिटेड द्वारा मूल रूप से 2003 के आसपास निर्मित इन इमारतों को हाउसिंग सोसाइटियों ने यह कहकर ध्वस्त कर दिया था कि इमारतें जर्जर हैं। ऐसा कथित तौर पर शिंदे के सहयोगी किशोर पाटकर के अवैध लाभ को बढ़ाने के लिए किया गया था।