बॉम्बे हाईकोर्ट (pic credit; social media)
Bombay High Court: मुंबई कुलां स्थित राहत अपार्टमेंट की छह इमारतों को बीएमसी जल्द ही तोड़ने जा रही है। इन इमारतों को बीएमसी ने पहले ही ‘खतरनाक’ घोषित कर दिया था और निवासियों को घर खाली करने का नोटिस जारी किया था। हालांकि, यहां रहने वालों ने इसे कोर्ट में चुनौती दी थी। अब हाईकोर्ट ने साफ कह दिया है कि इमारतों की देखभाल न करने के कारण स्थिति बिगड़ी है और निवासियों को नोटिस का पालन करना ही होगा।
साल 2020 में हुए स्ट्रक्चरल ऑडिट में इन इमारतों को बेहद जर्जर बताया गया था। रिपोर्ट में तत्काल मरम्मत और रखरखाव की सिफारिश की गई थी, लेकिन इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया। इसके चलते इमारतों की हालत लगातार बिगड़ती चली गई। आखिरकार बीएमसी ने 22 मई को नोटिस जारी कर घर खाली करने का निर्देश दिया, लेकिन वैकल्पिक जगह न होने की वजह से निवासी हटने को तैयार नहीं थे।
मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा, जहां निवासियों ने बीएमसी के फैसले पर रोक लगाने की मांग की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सालों तक मरम्मत के सुझावों की अनदेखी की गई है और अब इन इमारतों में रहना जान जोखिम में डालने जैसा है। कोर्ट ने निवासियों को फटकार लगाते हुए कहा कि सुरक्षित आवास न मिलने की दलील जान गंवाने के बाद बेकार साबित होगी। इसलिए अब नोटिस का पालन करना ही होगा।
बीएमसी ने भी कोर्ट को बताया कि इन इमारतों की हालत बेहद खतरनाक है और किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है। महापालिका का रुख साफ है कि लोगों की जान से बड़ा कोई मसला नहीं हो सकता। इसलिए अब कोर्ट के आदेश के बाद बीएमसी ने बुलडोजर चलाने की तैयारी पूरी कर ली है।
स्थानीय निवासियों में डर और नाराजगी दोनों है। कुछ लोग वैकल्पिक घर की मांग कर रहे हैं, वहीं कुछ परिवार सुरक्षित रहने की जगह न मिलने की चिंता जता रहे हैं। हालांकि प्रशासन का कहना है कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अब कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी।
इस फैसले से कुलां के अलावा शहर की उन सभी इमारतों में रहने वालों को भी बड़ा संदेश गया है, जिन्हें खतरनाक घोषित किया गया है लेकिन जहां अब भी लोग रह रहे हैं। कोर्ट के आदेश ने साफ कर दिया है कि जान जोखिम में डालकर पुरानी इमारतों में रहना अब विकल्प नहीं होगा।