बॉम्बे उच्च न्यायालय (pic credit; social media)
Mumbai News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार (13 अक्टूबर) को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि सड़क पर गड्ढों या खुले मैनहोल के कारण होने वाली मौतों के लिए अब संबंधित नगर निगमों और राज्य की अन्य एजेंसियों को 6 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा। वहीं, घायल व्यक्तियों को 50 हजार से लेकर 2.5 लाख रुपये तक की राशि दी जाएगी।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और संदीश पाटिल की पीठ ने कहा कि मुआवजा देने से इनकार करना नागरिकों के सुरक्षित सड़कों के मौलिक अधिकार का मज़ाक उड़ाने जैसा है। यह अधिकार बार-बार उल्लंघन का शिकार हुआ है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मुआवजा किसी अन्य कानूनी उपाय से अलग और अतिरिक्त होगा।
हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि ऐसे मामलों की जांच और मुआवजा तय करने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में एक समिति बनाई जाएगी, जिसमें नगर आयुक्त या मुख्य अधिकारी के साथ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DSLA) के सचिव भी शामिल होंगे। यदि मामला MMRDA, MSRDC, PWD, BPT या NHAI जैसी एजेंसियों से जुड़ा होगा, तो उस समिति में संबंधित एजेंसी का वरिष्ठतम अधिकारी और DSLA सचिव रहेंगे।
किसी भी हादसे या मृत्यु की सूचना मिलते ही समिति को 7 दिनों के भीतर पहली बैठक बुलानी होगी, और हर 15 दिन में प्रगति की समीक्षा करनी होगी। संबंधित पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को 48 घंटे के भीतर हादसे की पूरी जानकारी समिति को देनी होगी।
अदालत ने कहा कि मुआवजा पहले पीड़ित या उनके परिजनों को दिया जाना चाहिए, उसके बाद यह राशि जिम्मेदार अफसरों, इंजीनियरों या ठेकेदारों से वसूल की जाए। यदि समय पर भुगतान नहीं हुआ तो संबंधित नगर निगम या एजेंसी प्रमुख को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा और मुआवजे पर 9% वार्षिक ब्याज देना होगा।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि दोषपूर्ण या घटिया निर्माण कार्य के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों पर सख्त अनुशासनात्मक और आपराधिक कार्रवाई की जाए। साथ ही, किसी भी गड्ढे या खुले मैनहोल की सूचना मिलने पर उसे 48 घंटे के भीतर ठीक करना अनिवार्य होगा।
अदालत ने कहा कि हर साल बरसात में गड्ढों और मैनहोल से होने वाली मौतें अब “नियमित घटनाएं” बन चुकी हैं। यह “क्लासिक उदाहरण है जहां प्रशासनिक लापरवाही आम नागरिकों की जान ले रही है।” कोर्ट ने कहा, “अब समय आ गया है कि इन हादसों के पीड़ितों या उनके परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए। तभी यह संबंधित एजेंसियों के लिए एक चेतावनी साबित होगी।”
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अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को निर्धारित की है, जिसमें यह रिपोर्ट पेश की जाएगी कि कितनी शिकायतें प्राप्त हुईं, कितना मुआवजा दिया गया और किन अधिकारियों या ठेकेदारों पर कार्रवाई की गई।