बॉम्बे हाई कोर्ट (सोर्स: सोशल मीडिया)
Mumbai News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बिल्डिंग की टेरेस से जुड़े आंतरिक मरम्मत कार्य को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नियमों के अनुसार टेरेस सोसायटी की संपत्ति होती है, इसलिए उसकी मरम्मत की जिम्मेदारी भी सोसायटी की ही है। सोसायटी टेरेस रिपेयर की लागत टॉप फ्लोर पर रहने वाले सदस्यों से वसूल नहीं सकती। साथ ही, टेरेस से पानी लीक होने की मरम्मत का खर्च मेंटेनेंस बिल में शामिल नहीं किया जा सकता।
यह फैसला नवी मुंबई की 12 बिल्डिंगों की एक को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी की याचिका को खारिज करते हुए सुनाया गया। सोसायटी ने सहकारिता विभाग की रिवीजनल अथॉरिटी के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
अदालत ने कहा कि वर्ष 2015 में अथॉरिटी द्वारा सोसायटी को राहत न देने के जो कारण बताए गए थे, वे पूरी तरह से सही और कानून के अनुरूप हैं। इस आदेश में कोई खामी नहीं है, इसलिए इसे बरकरार रखा गया। इससे पहले जॉइंट रजिस्ट्रार ने भी सोसायटी को राहत देने से इनकार किया था।
जस्टिस मिलिंद जाधव ने कहा कि यह मामला सोसायटी और उसके सदस्यों के बीच व्यक्तिगत विवाद का नहीं, बल्कि नियमों के अनुपालन से जुड़ा हुआ है। सोसायटी बाय लॉ नंबर 160ए के तहत टेरेस की आंतरिक मरम्मत का खर्च ऊपरी मंजिल पर रहने वाले सदस्यों से नहीं लिया जा सकता, क्योंकि टेरेस सोसायटी की सामूहिक संपत्ति है।
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सहकारिता विभाग की अथॉरिटी ने यह भी निर्देश दिया कि यदि सोसायटी ने इन सदस्यों से मरम्मत का पैसा लिया है, तो वह रकम उन्हें वापस की जाए। जस्टिस जाधव ने इस आदेश में हस्तक्षेप करने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि सोसायटी के सदस्य विशेष आम सभा में बहुमत से बाय लॉ 160ए के खिलाफ जाकर मरम्मत फंड इकट्ठा करने का निर्णय लेते हैं, तब भी इसे मंजूरी नहीं दी जा सकती।