उमर खालिद, शरजील इमाम और गुलफिशा को सुप्रीम कोर्ट से झटका, फोटो- सोशल मीडिया
Supreme Court ने शुक्रवार को इनकी जमानत याचिकाओं पर सुनवाई को स्थगित करते हुए अगली तारीख 19 सितंबर तय की है। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने कहा कि उन्हें संबंधित केस से जुड़ी फाइलें बहुत देर से मिलीं, इसलिए मामले की सुनवाई के लिए कुछ समय और चाहिए। इसके चलते जमानत याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई संभव नहीं हो सकी।
तीनों आरोपियों ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें 2 सितंबर को उनकी जमानत याचिकाएं खारिज कर दी गई थीं। हाई कोर्ट ने साफ किया था कि प्रदर्शन और विरोध की आड़ में षड्यंत्र कर हिंसा की इजाजत नहीं दी जा सकती।
रिपोर्ट्स की मानें तो फरवरी 2020 में सीएए और एनआरसी के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों के बीच उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़क उठे थे। इन दंगों में 53 लोगों की जान गई थी, जबकि 700 से अधिक लोग घायल हुए थे। दिल्ली पुलिस ने इस हिंसा को सुनियोजित साजिश करार देते हुए कई कार्यकर्ताओं और नेताओं के खिलाफ UAPA और भारतीय दंड संहिता की गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत खारिज करते हुए कहा था कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन यह तभी तक मान्य है जब तक वह शांतिपूर्ण और बिना हिंसा के हो। कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत भले ही भाषण देने और इकट्ठा होने का अधिकार दिया गया हो, लेकिन यह अधिकार निरंकुश नहीं है और इसके साथ कुछ प्रतिबंध भी लागू होते हैं।
2 सितंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने नौ अभियुक्तों की जमानत याचिकाएं खारिज की थीं। इनमें उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, अतहर खान, अब्दुल खालिद सैफी और शादाब अहमद शामिल हैं। एक अन्य आरोपी तस्लीम अहमद की जमानत याचिका भी हाई कोर्ट की अलग पीठ ने उसी दिन खारिज कर दी थी।
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खालिद, इमाम और अन्य आरोपी लगभग साढ़े तीन साल से न्यायिक हिरासत में हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की साजिश रची थी। पुलिस का कहना है कि इन लोगों ने प्रदर्शन की आड़ में दंगे की योजना बनाई थी। हालांकि आरोपियों का दावा है कि वे शांतिपूर्ण विरोध का हिस्सा थे और उन्हें राजनीतिक बदले की भावना से निशाना बनाया गया है।