
BMC चुनाव
BMC Elections: महाराष्ट्र की राजनीति के लिहाज से सोमवार का दिन बेहद महत्वपूर्ण रहा। राज्य चुनाव आयोग ने मुंबई की बीएमसी समेत राज्य की 29 महानगरपालिकाओं के चुनाव का ऐलान कर दिया है। घोषणा के साथ ही सभी नगर निगम क्षेत्रों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। 15 जनवरी 2026 को मतदान होगा, जबकि 16 जनवरी 2026 को नतीजे घोषित किए जाएंगे। इन चुनावों में कुल 28,079 सीटों पर उम्मीदवार मैदान में होंगे। महाराष्ट्र में 1 करोड़ 66 लाख 79 हजार महिला मतदाता हैं। हालांकि चुनाव 29 महानगरपालिकाओं के लिए हो रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा फोकस बीएमसी पर है। बीएमसी देश का सबसे अमीर नगर निकाय माना जाता है, जिसका बजट कई राज्यों से भी बड़ा है।
बीएमसी चुनाव 227 सीटों पर होते हैं। इन सीटों पर जीत मुंबई की आर्थिक और राजनीतिक ताकत पर पकड़ सुनिश्चित करती है। बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) एशिया का सबसे समृद्ध नगर निकाय माना जाता है। वित्त वर्ष 2026 के लिए बीएमसी का सालाना बजट ₹74,427 करोड़ है, जो दुनिया के करीब 50 देशों की GDP से भी अधिक बताया जा रहा है।
जिन देशों की GDP मुंबई के इस बजट से कम है, उनमें भूटान, फिजी, मालदीव, बारबाडोस, मोंटेनेग्रो, लाइबेरिया और सिएरा लियोन शामिल हैं। लंबे समय से यह धारणा रही है कि महाराष्ट्र की सत्ता तक पहुंच का रास्ता बीएमसी से होकर जाता है, इसलिए यह चुनाव सभी राजनीतिक दलों के लिए बेहद अहम है।
चुनाव आयोग की घोषणा से ठीक पहले शहरी विकास विभाग ने 13 नगर निगमों के लिए ₹74 करोड़ जारी किए। अकेले मुंबई के लिए ₹36 करोड़ का अतिरिक्त प्रावधान किया गया, जिसमें मुंबई शहर के लिए ₹18 करोड़ और उपनगरों के लिए ₹17 करोड़ शामिल हैं। मुंबई, ठाणे, कल्याण-डोंबिवली, भिवंडी, मीरा-भायंदर, वसई-विरार समेत अन्य नगर निगमों के लिए कुल ₹172 करोड़ स्वीकृत किए गए। वहीं पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ के लिए ₹90 करोड़ मंजूर हुए, जिनमें से ₹22.50 करोड़ जारी कर दिए गए हैं।
चुनाव तारीखों की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महायुति गठबंधन मिलकर चुनाव लड़ेगा। अधिकतर जगह बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) का गठबंधन होगा, जबकि जहां संभव होगा वहां बीजेपी और एनसीपी (अजित पवार गुट) साथ चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने साफ किया कि पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ में एनसीपी के साथ गठबंधन नहीं होगा और यहां मुकाबला बीजेपी बनाम एनसीपी रहेगा, हालांकि इसे दोस्ताना संघर्ष बनाने की कोशिश होगी।
फडणवीस ने कहा कि ठाकरे बंधु साथ आएं या नहीं, इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा। कांग्रेस अगर उनके साथ जाती है, तब भी असर नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी में शामिल होने के लिए कई नेता इच्छुक हैं, लेकिन शिंदे की शिवसेना से किसी को नहीं लिया जाएगा।
उद्धव ठाकरे के लिए यह चुनाव पार्टी की ताकत और विरासत साबित करने का बड़ा मौका माना जा रहा है। वहीं राज ठाकरे की MNS के साथ संभावित गठबंधन की चर्चाएं तेज हैं। कांग्रेस कई जगह अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी में है, जिससे महाविकास अघाड़ी (MVA) की एकजुटता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
बीएमसी पर करीब तीन दशकों तक शिवसेना का दबदबा रहा है, लेकिन 2022 में पार्टी के विभाजन के बाद यह विरासत दांव पर लग गई है। अब मुंबई की राजनीति त्रिकोणीय मुकाबले की ओर बढ़ती दिख रही है।
उद्धव ठाकरे को आशंका है कि राज ठाकरे उनके पारंपरिक मराठी वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं। इसी कारण वर्षों से दूर रही ‘भाईगिरी’ चुनाव से पहले फिर चर्चा में है। कांग्रेस असहज नजर आ रही है, क्योंकि उसे डर है कि शिवसेना (UBT) और MNS का गठजोड़ उसके धर्मनिरपेक्ष आधार को नुकसान पहुंचा सकता है।
एनसीपी के दोनों गुट अपने-अपने गठबंधनों में अधिक से अधिक सीटों की मांग कर रहे हैं। इससे सत्ताधारी महायुति और विपक्षी MVA, दोनों में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है। इस बार का चुनाव बेहद कांटे का माना जा रहा है, जहां सीटों का समीकरण और ठाकरे परिवार की राजनीतिक विरासत पर जनता का फैसला ही असली विजेता तय करेगा।
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